सिवान में मंच पर उपेंद्र कुशवाहा के कान में क्या बोले पीएम मोदी, राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के बाद राजनीतिक हलकों में एक सवाल तेजी से घूम रहा है – आखिर पीएम मोदी ने मंच पर उपेंद्र कुशवाहा के कान में क्या कहा? शुक्रवार को सिवान में हुए सरकारी कार्यक्रम और जनसभा के दौरान मंच पर एक दिलचस्प दृश्य देखने को मिला, जिसने सभी की निगाहें खींच लीं।
दरअसल, मंच पर जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से हाथ मिलाया और आगे बढ़े, उसी वक्त पीएम मोदी ने जनता दल (एस) के नेता उपेंद्र कुशवाहा के कान के पास झुककर कुछ कहा। यह दृश्य कैमरे में कैद हो गया और अब पटना से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हो रही है।
क्या था पीएम मोदी का संदेश?
हालांकि, प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से उस बात का खुलासा नहीं किया जो उन्होंने कुशवाहा के कान में कही, लेकिन इस 'कानों-कान बात' को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे "सियासी संकेत" के तौर पर देख रहे हैं, खासकर तब जब बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
पटना के राजनीतिक गलियारों में दो प्रमुख कयास लगाए जा रहे हैं:
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राजनीतिक भूमिका को लेकर इशारा: कुछ लोग मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने उपेंद्र कुशवाहा को भावी रणनीतिक सहयोग की ओर संकेत किया है। कुशवाहा, जो पहले एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं और फिलहाल खुद को 'समर्थक' की भूमिका में दिखा रहे हैं, शायद एक बार फिर से सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
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व्यक्तिगत सराहना या स्मरण: कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक हल्की-फुल्की निजी बातचीत रही होगी – शायद हालचाल पूछना या पुराने सहयोग की याद दिलाना।
चिराग पासवान के साथ 'गर्मजोशी' भी चर्चा में
इस मंचीय राजनीति में चिराग पासवान के साथ प्रधानमंत्री की गर्मजोशी भरी मुलाकात भी चर्चा का विषय रही। दोनों नेताओं के बीच हाथ मिलाने से लेकर एक-दूसरे की ओर मुस्कराकर देखने तक के दृश्य कैमरों में कैद हुए, जिसे लेकर लोजपा (रामविलास) समर्थकों में खासा उत्साह है।
10,000 करोड़ की विकास योजनाएं और राजनीतिक संदेश
पीएम मोदी ने सिवान दौरे के दौरान 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिनमें वंदे भारत ट्रेन से लेकर जल और सीवरेज परियोजनाएं, पीएम आवास की पहली किस्त जैसी योजनाएं शामिल हैं। हालांकि कार्यक्रम पूरी तरह विकास केंद्रित था, मगर मंच पर नेताओं की आपसी बॉडी लैंग्वेज और मुलाकातों ने साफ कर दिया कि यह दौरा केवल योजनाओं के लोकार्पण तक सीमित नहीं था – इसमें चुनावी रणनीति की झलक भी मौजूद थी।