लाल पानी से प्रभावित ग्रामीणों ने विधायक विक्रम मंडावी को सौंपा ज्ञापन, बैलाडीला खदान से हो रहे नुकसान पर जताई चिंता

बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में एनएमडीसी की बैलाडीला आयरन खदान से निकलने वाली लाल मिट्टी और उसके प्रभाव से परेशान ग्रामीणों ने आज अपनी आवाज बुलंद की। लाल पानी से प्रभावित पुसनार, हिरोली और डुमीरपालनार गांवों के पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया और एक ज्ञापन सौंपा।
क्या है लाल पानी की समस्या?
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बैलाडीला पर्वत पर स्थित एनएमडीसी की आयरन खदान से हर वर्ष बारिश के मौसम में भारी मात्रा में लाल मिट्टी घुलकर पानी के साथ बह जाती है, जिससे आस-पास के गांवों की जलस्रोतों, खेतों और नालों में प्रदूषण फैल रहा है। इससे खेती-किसानी पर असर, पीने के पानी की समस्या और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ लगातार बढ़ रही हैं।
विधायक को सौंपा गया ज्ञापन
ग्रामीणों ने विधायक मंडावी को सौंपे ज्ञापन में यह मांग की है कि:
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बैलाडीला खदान से बहने वाले लाल पानी को नियंत्रित करने के लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए
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खदान क्षेत्र में वाटर रिटेंशन स्ट्रक्चर और फिल्टरिंग सिस्टम लगाया जाए
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प्रभावित गांवों को मुआवजा और वैकल्पिक जलस्रोत मुहैया कराए जाएं
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यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे
विधायक ने दिया आश्वासन
विधायक विक्रम मंडावी ने ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वह जल्द ही इस मामले को छत्तीसगढ़ सरकार और एनएमडीसी प्रबंधन के समक्ष रखेंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्थानीय लोगों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
“ग्रामीणों की समस्याएं वास्तविक और गंभीर हैं। लाल पानी से जो नुकसान हो रहा है, वह लंबे समय तक अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस विषय में जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जाएगी,” – विक्रम मंडावी, विधायक, बीजापुर
पृष्ठभूमि
बैलाडीला पर्वत श्रृंखला में एनएमडीसी द्वारा आयरन अयस्क की खनन गतिविधियाँ वर्षों से चल रही हैं। यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और यहां की आबादी का प्रमुख जीवन निर्वाह खेती और वनों पर आधारित है। ऐसे में खनन से हो रहे पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर स्थानीय आक्रोश समय-समय पर सामने आता रहा है।