बिहार के 470 प्रखंडों में स्थापित होंगी ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा

बिहार सरकार ने राज्य में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। माननीय उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने घोषणा की है कि मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के 470 प्रखंडों में ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। इसका उद्देश्य किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में वैज्ञानिक जानकारी और सलाह उपलब्ध कराना है।
डिप्टी सीएम ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं के माध्यम से किसानों को स्थानीय स्तर पर ही सुलभ और समयबद्ध तरीके से मिट्टी परीक्षण की सुविधा मिल सकेगी। यह पहल किसानों को फसल चक्र, उर्वरक उपयोग और भूमि सुधार की वैज्ञानिक जानकारी देकर खेती की उत्पादकता बढ़ाने और लागत घटाने में मदद करेगी।
किसानों को मिलेगी तकनीकी जानकारी
प्रत्येक प्रखंड में बनने वाली इन प्रयोगशालाओं में प्रशिक्षित तकनीशियन उपलब्ध रहेंगे जो किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लेकर उसकी pH, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश जैसी आवश्यकताओं की जांच करेंगे। इसके बाद किसान को एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि उसकी भूमि को कौन-कौन से पोषक तत्वों की जरूरत है।
उत्पादन बढ़ेगा, लागत घटेगी
विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “यह योजना न केवल फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि लाएगी, बल्कि अंधाधुंध उर्वरक उपयोग पर भी रोक लगेगी, जिससे खेती की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और वे अधिक लाभकारी खेती कर सकेंगे।”
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
इस योजना के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। प्रयोगशालाओं के संचालन और रखरखाव के लिए स्थानीय शिक्षित युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उनकी नियुक्ति की जाएगी, जिससे वे गांव में रहते हुए रोजगार अर्जित कर सकेंगे।