बिहार विधानसभा चुनाव में उपराष्ट्रपति का इस्तीफा बना नया ‘चुनावी मोहरा’, BJP चला सकती है सवर्ण या पिछड़ा कार्ड
बिहार की सियासत एक बार फिर करवट लेती दिख रही है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनाव का महत्व पहले से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए बहुत खास था, लेकिन अब उपराष्ट्रपति पद को लेकर चल रही चर्चाओं ने इस चुनावी रण को और भी रोचक बना दिया है।
सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म
सूत्रों की मानें तो BJP उपराष्ट्रपति पद को एक 'चुनावी मोहरा' के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी में है। पार्टी इस पद के सहारे बिहार की वैतरणी पार करने की रणनीति पर काम कर रही है। सवाल यह है कि पार्टी इस बार 'सवर्ण कार्ड' खेलेगी या 'पिछड़ा कार्ड'?
‘एक खास नाम’ पर हो सकती है मुहर
सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व इस बार उम्मीदवार चयन में काफी सोच-समझकर कदम उठाना चाहता है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उपराष्ट्रपति पद को किसी ऐसे चेहरे से जोड़ा जा सकता है, जो बिहार में जातीय समीकरण साधने में मददगार हो।
BJP की रणनीति में नया मोड़
पिछले कुछ चुनावों में BJP ने बिहार में जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए हैं। इस बार उपराष्ट्रपति पद से लेकर विधानसभा चुनाव तक, हर मोर्चे पर बीजेपी रणनीति को नए ढंग से तैयार कर रही है।अब देखना यह होगा कि 'चुनावी मोहरे' की इस नई बिसात पर BJP किस चाल से विरोधियों को मात देती है और बिहार की सत्ता की चाबी किसके हाथ लगती है।

