बिहार चुनाव से पहले UIDAI का बड़ा बयान, कहा-आधार नहीं माना जाएगा पहला पहचान पत्र
बिहार में वर्तमान में कुल 12 करोड़ 9 लाख 36 हज़ार 645 आधार कार्ड धारक हैं। वहीं, इस संख्या में बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। ऐसे मृत लोगों के पहचान दस्तावेजों का कई बार दुरुपयोग होने की संभावना रहती है। इसे रोकने के लिए, UIDAI ने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर मृतक के आधार नंबर को निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है।
राज्य में कितने सक्रिय कार्ड?
अब तक आधार नंबर निष्क्रिय किए जाने के बाद राज्य में सक्रिय आधार कार्ड धारकों की संख्या घटकर 11 करोड़ 43 लाख 50 हज़ार 755 रह गई है। प्राधिकरण का कहना है कि यह संख्या और कम होगी, क्योंकि कई मृतकों के आधार कार्ड अभी बंद होने बाकी हैं।
यह अभियान क्यों चलाया जा रहा है?
इस पहल का मुख्य उद्देश्य आधार डेटा की सटीकता बनाए रखना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ केवल वास्तविक और जीवित पात्र लाभार्थियों को ही मिले। इससे न केवल पहचान संबंधी धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा, बल्कि सरकारी सामाजिक योजनाओं में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
यूआईडीएआई की यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से संवेदनशील होने के साथ-साथ कानूनी रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र, नगर निगम या पंचायत से प्राप्त जानकारी और परिवार के सदस्यों द्वारा दी गई जानकारी का उपयोग किया जा रहा है।
आधार कार्ड की जालसाजी
बिहार में चुनाव नज़दीक हैं, लेकिन इससे पहले ही आधार कार्ड की जालसाजी का खुलासा हो गया है। जानकारी के अनुसार, कई फर्जी आधार कार्ड पकड़े गए हैं। इसके लिए कुछ केंद्रों के संचालकों पर जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा, यूआईडीएआई ने उन लोगों की सूची बनाई है जिनकी मृत्यु हो चुकी है। उनके आधार नंबर पर कोई जालसाजी न हो, इसके लिए इसे बंद करने का काम तेज़ी से किया जा रहा है।

