सारण में कांवड़ यात्रा के दौरान दर्दनाक हादसा, दो युवाओं की मौत, दोनों थे गहरे दोस्त
सावन माह की पवित्र कांवड़ यात्रा के दौरान सारण जिले में एक दर्दनाक सड़क हादसे ने दो परिवारों की खुशियां छीन लीं। यह हादसा सोमवार की देर रात रिविलगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत एनएच-19 (नेशनल हाईवे-19) पर हुआ, जिसमें दो कांवड़ यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतकों की पहचान जनता बाजार थाना क्षेत्र के दयालपुर गांव निवासी दीपक कुमार साह और दीपक कुमार मांझी के रूप में की गई है। दोनों युवक आपस में गहरे दोस्त थे और बिहार पुलिस की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। साथ ही, दोनों युवाओं में गहरी धार्मिक आस्था थी और हर साल कांवड़ यात्रा में भाग लेते थे। इस बार भी वे देवघर से जल भरकर अपने गांव के शिव मंदिर में जल अर्पण करने जा रहे थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, देर रात जब वे एनएच-19 पर कांवड़ यात्रा कर रहे थे, तभी एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसा इतना भीषण था कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। आसपास के लोगों और अन्य कांवड़ियों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने के बाद रिविलगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल छपरा भेज दिया।
पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है और अज्ञात वाहन की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। घटना के बाद से स्थानीय लोगों और कांवड़ियों में आक्रोश है। वहीं, मृतकों के गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। गांववालों के अनुसार, दीपक कुमार साह और दीपक मांझी न सिर्फ पढ़ाई में होशियार थे, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी हमेशा आगे रहते थे।
इस हादसे ने सावन की श्रद्धा और आस्था के माहौल को गमगीन कर दिया है। धार्मिक कार्यों में भाग लेने के दौरान इस तरह की दुर्घटनाएं लगातार चिंता का विषय बन रही हैं। स्थानीय लोगों और कांवड़ यात्रियों ने प्रशासन से मांग की है कि कांवड़ यात्रा के मार्गों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाएं न हो सकें।
इस बीच, पुलिस अधिकारियों ने कांवड़ियों से अपील की है कि वे सावधानी से यात्रा करें और रात में हाईवे या व्यस्त मार्गों पर चलने से परहेज करें। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि दोषी वाहन चालक की पहचान कर जल्द ही उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि श्रद्धा के इस उत्सव को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन और आम लोगों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।

