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बिहार में फिर पुल पर सवाल, गया जिले में तीन साल पुराने पुल में दरारें, एक पाया भी धंसा

बिहार में फिर पुल पर सवाल: गया जिले में तीन साल पुराने पुल में दरारें, एक पाया भी धंसा

मानसून की दस्तक से पहले ही बिहार में एक और पुल चर्चा में आ गया है। ताजा मामला गया जिले के डोभी प्रखंड का है, जहां नीलांजना (निरंजना) नदी पर बना पुल दरारों और धंसे पाए के कारण चिंता का विषय बन गया है। यह पुल कोठवारा और बैरिया गांव को जोड़ता है और मात्र तीन साल पहले ही नाबार्ड योजना के तहत तैयार किया गया था।

जानकारी के अनुसार, इस पुल का निर्माण वर्ष 2021 में 13 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। निर्माण कार्य तिरुपति बालाजी नामक कंपनी द्वारा किया गया था। परंतु इतने भारी भरकम बजट और अपेक्षाकृत कम समय में ही पुल की हालत खराब होना निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, कुछ दिनों पहले ही उन्होंने पुल में दरारें और झुकाव देखे थे, जिसके बाद से वहां से गुजरने वाले लोग डरे-सहमे नजर आ रहे हैं। जांच में यह भी सामने आया कि पुल का एक पाया (खंभा) धंस चुका है, जिससे इसकी संरचनात्मक मजबूती पर सवाल उठना लाजमी है।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने लोकनिर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन को कई बार शिकायतें दीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई या मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। इस पुल के जरिए हजारों लोगों का रोजाना आवागमन होता है, और यह रास्ता डोभी प्रखंड से गया मुख्यालय और अन्य क्षेत्रों को जोड़ता है। ऐसे में इसका क्षतिग्रस्त होना जनजीवन और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की स्थिति का मुख्य कारण घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल, निगरानी की कमी और निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव हो सकता है। नाबार्ड जैसी योजना के अंतर्गत बने इस पुल में भ्रष्टाचार की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता।

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब जिला प्रशासन हरकत में आया है और प्रारंभिक निरीक्षण के आदेश दे दिए गए हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि निर्माण एजेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी या नहीं।

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