उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद लापता मजदूरों में से तीन घर लौटे, परिवारों में राहत
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हर्षिल थाना क्षेत्र के धराली में हाल ही में हुई भयंकर बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था। इस प्राकृतिक आपदा में जिले के कई मजदूर लापता हो गए थे। इनमें से कुल 11 मजदूर लापता बताए जा रहे थे।
खबर है कि लापता मजदूरों में से सरगटिया पंचायत के मंगलहिया निवासी तीन लोग सुरक्षित घर लौट आए हैं। इन लोगों की पहचान राहुल कुमार मुखिया, मुन्ना मुखिया और रवि कुमार के रूप में हुई है। यह तीनों सोमवार की देर रात अपने घर पहुंचे। उनके घर पहुंचने के बाद परिवारवालों और गांववासियों ने राहत की सांस ली।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि लौटे मजदूर मौके पर हुए भयावह परिस्थितियों और बचाव प्रयासों के बारे में साझा कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस दौरान उन्होंने संकट और प्राकृतिक आपदा के बीच जीवित रहने की पूरी कोशिश की। उनकी सुरक्षित वापसी ने गांव में संतोष और खुशी का माहौल पैदा कर दिया है।
हालांकि, अभी भी लापता आठ मजदूरों की तलाश जारी है। प्रशासन और बचाव दल लगातार प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थान पर लाया जा सके। आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय पुलिस टीम ने नदी और आसपास के क्षेत्रों में खोजबीन तेज कर दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटना एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जो अचानक बड़े नुकसान और खतरे की स्थिति पैदा कर देती है। उन्होंने ग्रामीणों और मजदूरों को सावधानी बरतने, सुरक्षित स्थानों पर रहने और मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान देने की सलाह दी है।
प्रशासन ने भी गांववासियों को आश्वस्त किया है कि बचाव और राहत कार्य निरंतर जारी हैं। लापता मजदूरों को खोजने के लिए एनडीआरएफ और स्थानीय बचाव दल को तैनात किया गया है। इसके अलावा, प्रभावित परिवारों को आर्थिक और मानवीय सहायता देने की भी व्यवस्था की गई है।
इस घटना ने एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं और उनसे निपटने की तैयारियों की आवश्यकता को उजागर किया है। गांववासियों और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी आपदाओं में जल्दी प्रतिक्रिया और बचाव कार्य सुचारू रूप से हो।
अंततः, उत्तरकाशी में धराली की घटना और लौटे मजदूरों की कहानी यह दिखाती है कि साहस, धैर्य और बचाव प्रयासों से प्राकृतिक आपदा के बीच भी जीवन बचाया जा सकता है। प्रशासन, बचाव दल और ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी से ही ऐसे संकटों को कम किया जा सकता है और सुरक्षित परिणाम सुनिश्चित किए जा सकते हैं।

