बिहार में जेडीयू में असंतोष की लहर, नवेंदु के इस्तीफे ने पार्टी में मचाई खलबली

बिहार में एनडीए सरकार द्वारा हाल ही में बोर्ड और आयोगों के गठन के बाद जनता दल (यूनाइटेड) [जेडीयू] में असंतोष की लहर दौड़ पड़ी है। पार्टी के भीतर यह गहमागहमी तब और बढ़ गई, जब पटना साहिब विधानसभा के प्रभारी नवीश कुमत नवेंदु ने अपना इस्तीफा दे दिया। नवेंदु ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि बोर्ड और आयोगों में परिवारवाद और योग्यता को नजरअंदाज किया गया है, जिससे पार्टी के अंदर तनाव पैदा हो गया है।
नवेंदु का आरोप
नवेंदु ने साफ तौर पर कहा कि हाल ही में बने बोर्ड और आयोगों में सत्ताधारी नेताओं के करीबी रिश्तेदारों को ही महत्त्वपूर्ण पद दिए गए हैं, जबकि योग्य और मेहनती कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है। उनका कहना है कि यह परिवारवाद और पक्षपाती निर्णय बिहार की जनता की उम्मीदों के खिलाफ हैं।
इस्तीफा और सोशल मीडिया पर नाराजगी
नवेंदु के इस्तीफे और सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट ने जेडीयू के अंदर उथल-पुथल मचा दी है। उनका यह कदम पार्टी की अंदरूनी राजनीति को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है। नवेंदु ने पार्टी के फैसलों पर असहमति जताते हुए यह भी कहा कि उनके जैसे कार्यकर्ताओं की मेहनत को दरकिनार किया जा रहा है, और यह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकता है।
विधानसभा चुनाव पर असर
यह घटनाक्रम जेडीयू के लिए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। पार्टी में बढ़ते असंतोष और नेतृत्व के खिलाफ उठती आवाजें बिहार विधानसभा चुनाव में संभावित नुकसान का कारण बन सकती हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती असहमति का असर आगामी चुनावी रणनीतियों पर भी पड़ेगा।
पार्टी में स्थिति
नवेंदु के इस्तीफे के बाद पार्टी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, पार्टी के सूत्रों का कहना है कि जेडीयू नेतृत्व स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहा है और पार्टी में असंतोष को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।