बिहार में वक्फ बिल पर मचा बवाल! डिप्टी सीएम ने विरोधियों पर साधा निशाना, नेताओं पर लगाए गंभीर आरोप

वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में आयोजित रैली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है और लोकतांत्रिक परंपरा को चुनौती देने का अनुचित प्रयास है। वोट बैंक के नाम पर परिवार के सभी सदस्य एक मंच पर आ गए हैं। जबकि यह विधेयक देश की संसद द्वारा बहुप्रतीक्षित मांग और सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देश पर पारित किया गया है। मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि हम वोट बैंक के लिए कोई कानून नहीं लाएंगे, क्योंकि कानून न्याय और लोगों के कल्याण के लिए होता है।
इसे तुष्टीकरण का माध्यम नहीं बनाया जाना चाहिए। वक्फ संशोधन विधेयक में कहीं भी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया गया है। वक्फ बोर्ड में धार्मिक दान से संबंधित कार्यों में किसी भी गैर इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं दी गई है। वक्फ बोर्ड या उसके परिसर में जिन गैर मुस्लिम सदस्यों को रखने की बात कही गई है, उनका काम धार्मिक गतिविधियों से संबंधित नहीं होगा। चैरिटी कमिश्नर किसी भी धर्म का व्यक्ति हो सकता है, वह यह सुनिश्चित करेगा कि बोर्ड दान कानून के अनुसार चले। वक्फ बोर्ड का काम वक्फ संपत्ति बेचने वालों की पहचान कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना होना चाहिए।
सिन्हा ने कहा कि देश और राज्य की जनता द्वारा बार-बार नकारे गए राजद-कांग्रेस के लोग देश को भ्रम और अराजकता की आग में झोंकना चाहते हैं। तुष्टिकरण की मानसिकता से पोषित ये वंशवादी चाहते हैं कि उनके जंगलराज में जो मिलीभगत की संस्कृति थी, वह हमेशा चलती रहे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।सिन्हा ने कहा कि देश और राज्य की जनता द्वारा बार-बार नकारे गए राजद-कांग्रेस के लोग देश को भ्रम और अराजकता की आग में झोंकना चाहते हैं। तुष्टिकरण की मानसिकता से पोषित ये वंशवादी चाहते हैं कि उनके जंगलराज में जो मिलीभगत की संस्कृति थी, वह हमेशा चलती रहे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
देश की जनता को याद है कि किस तरह तुष्टिकरण की राजनीति को पोषित करने के लिए वर्ष 2013 में रातों-रात वक्फ अधिनियम को निरंकुश बना दिया गया था। जिसके कारण दिल्ली के सबसे महंगे इलाके में 120 से अधिक वीवीआईपी संपत्तियां वक्फ को दे दी गईं। वर्ष 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड की कुल जमीन 18 लाख एकड़ थी, जो वर्ष 2013 से 2025 तक 21 लाख एकड़ बढ़ गई।