बिहार में पर्यावरण संतुलन को लेकर चलाया जा रहा 'जल जीवन हरियाली' अभियान, पौधारोपण और जल संरक्षण की दिशा में बड़ी पहल

बिहार सरकार जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और कृषि विकास पर विशेष अभियान चला रही है। जल-जीवन-हरियाली अभियान राज्य में पर्यावरण के लिए एक सशक्त पहल साबित हो रहा है। इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 अक्टूबर 2019 को की थी। इसका उद्देश्य जल संसाधनों का संरक्षण, पर्यावरण को हरा-भरा बनाना और कृषि को बढ़ावा देना है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस अभियान को और सुदृढ़ करने के लिए योजना एवं विकास विभाग द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को 528.87 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है। इसमें से 462.87 करोड़ रुपये राज्य योजनाओं पर खर्च किए जाएंगे, जबकि शेष राशि केंद्रीय योजनाओं और केंद्र के राज्य हिस्से के लिए निर्धारित की गई है।
2024-25 में भी विभाग को 517.28 करोड़ रुपये का बजट प्राप्त हुआ, जिसमें से हर खेत सिंचाई जल, वृक्षारोपण, मृदा संरक्षण और माला ट्रेंच जैसी योजनाएं क्रियान्वित की गईं। जल जीवन हरियाली अभियान के तहत विभाग वन एवं गैर वन भूमि पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कर रहा है।
इस दौरान मुख्यमंत्री निजी नर्सरी और कृषि वानिकी जैसी योजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया। फिलहाल चौथे कृषि रोड मैप (2023-28) के तहत 20 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। वर्ष 2024-25 के लिए 4.68 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से अब तक 4.14 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं।
कृषि-वनीकरण (अन्य प्रजातियाँ) योजना के अन्तर्गत 41.50 लाख पौधों के लक्ष्य के सापेक्ष 36.20 लाख पौधे किसानों द्वारा रोपे जा चुके हैं। इसी प्रकार, कृषि वानिकी (पोपलर) योजना के अंतर्गत 1.82 लाख ईटीपी (अगेती वृक्षारोपण) के लक्ष्य के मुकाबले 1.48 लाख हासिल कर लिए गए हैं। 80.34 लाख पौधों के लक्ष्य के विरुद्ध जीविका दीदियों द्वारा 81.49 लाख पौधे लगाये जा चुके हैं।
पौधों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 246 विभागीय नर्सरियां स्थापित की गई हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता 8 करोड़ से अधिक पौधों की है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री निजी नर्सरी योजना के तहत 242 किसान एवं 303 जीविका नर्सरी की स्थापना की गयी है। यहां एक करोड़ नौ लाख पौधे तैयार किये जायेंगे।