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आगरा की दो बहनों के धर्मांतरण से उठा बवंडर, मथुरा-आगरा में 75 साल से चल रहा है धर्मांतरण का चक्रव्यूह

आगरा की दो बहनों के धर्मांतरण से उठा बवंडर: मथुरा-आगरा में 75 साल से चल रहा है धर्मांतरण का चक्रव्यूह

आगरा के सदर क्षेत्र की दो सगी बहनों के अवैध धर्मांतरण का मामला अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है। एक प्रतिष्ठित कारोबारी की बेटियों के धर्मांतरण और इससे जुड़े धर्मांतरण नेटवर्क ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को चौंका दिया है। इस मामले में सामने आए बलरामपुर के जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पर की जा रही कार्रवाई से हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं।

अमर उजाला की पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य

अमर उजाला की एक विशेष पड़ताल में जब पुराने समाचार अभिलेखों को खंगाला गया, तो सामने आया कि आगरा और मथुरा क्षेत्र में 75 वर्षों से धर्मांतरण का सुनियोजित चक्रव्यूह बुना जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद से ही उत्तर प्रदेश इस प्रकार की गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है।

इन घटनाओं में न केवल आर्थिक लालच और सामाजिक प्रलोभन का इस्तेमाल किया गया है, बल्कि शिक्षा संस्थानों, अस्पतालों, धर्मार्थ संगठनों के माध्यम से भी धर्मांतरण की कोशिशें होती रही हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ: पहले भी बन चुके हैं मुद्दा

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इससे पहले भी 1950, 1981, 2004 और 2014 में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के मामले उजागर हो चुके हैं। इन मामलों ने संसद से लेकर न्यायालयों तक विवादों और बहसों को जन्म दिया।

जलालुद्दीन उर्फ छांगुर की भूमिका

बलरामपुर के रहने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर पर शक है कि वह पैसे और प्रभाव के बल पर धर्मांतरण का सूक्ष्म नेटवर्क चला रहा था। जांच एजेंसियों को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि उसने कई युवाओं और नाबालिगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया और फंडिंग की।

आगे की कार्रवाई

प्रदेश सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। संबंधित एजेंसियों को इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने और इसमें शामिल लोगों की पहचान कर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

इस घटना ने एक बार फिर देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धर्मांतरण की समस्या सिर्फ कानूनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना से जुड़ी है।

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