स्वामी सहजानंद सरस्वती के किसान आंदोलन पर शोध करने वाले प्रोफेसर वाल्टर हाउजर की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की गईं

1957 में शिकागो विश्वविद्यालय से भारत आकर स्वामी सहजानंद सरस्वती के किसान आंदोलन पर शोध और पीएचडी करने वाले पहले शोधकर्ता, स्वर्गीय प्रोफेसर वाल्टर हाउजर और उनकी पत्नी रोजमेरी हाउजर की अस्थियां गुरुवार को पटना पहुंची। उनके परिवार ने गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित की। यह एक भावुक पल था, जिसमें उनके परिवार ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति सम्मान दिखाया।
प्रोफेसर वाल्टर हाउजर का योगदान
स्वर्गीय प्रोफेसर वाल्टर हाउजर ने भारत में कृषि और किसान आंदोलन के बारे में गहन अध्ययन किया था, खासकर स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व में हुआ किसान आंदोलन। उनका यह शोध भारतीय किसान आंदोलन की गहरी समझ को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है और भारतीय समाज के उत्थान में उनके योगदान को अहम बनाता है। प्रोफेसर हाउजर ने अपनी पीएचडी में भारतीय किसानों के संघर्षों और स्वामी सहजानंद सरस्वती की भूमिका पर महत्वपूर्ण कार्य किया, जो आज भी कृषि आंदोलनों के शोध में संदर्भ के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है।
परिवार का श्रद्धांजलि अर्पित करना
प्रोफेसर वाल्टर हाउजर के परिवार ने उनकी अस्थियां लेकर पटना का रुख किया। उनके परिवार का कहना था कि स्वामी सहजानंद सरस्वती के आंदोलन से जुड़ी शोध यात्रा के दौरान भारत की संस्कृति और परंपराओं से उनका गहरा संबंध बन गया था। गंगा नदी में अस्थियां प्रवाहित करते हुए उन्होंने भारतीय संस्कृति और किसानों के संघर्ष के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।
गंगा में अस्थि प्रवाह
गंगा नदी, जिसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है, में अस्थियां प्रवाहित करना एक प्राचीन और सम्मानजनक परंपरा है। परिवार के सदस्य गंगा नदी के किनारे इस मौके पर भावुक थे। उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह कहा कि प्रोफेसर हाउजर के कार्य और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इस मौके पर स्थानीय अधिकारी, परिवार के सदस्य और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।