
बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए गए विवादित बयान ने एक नई राजनीतिक जंग छेड़ दी है। तेजस्वी के इस बयान के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सभी घटक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे "अशोभनीय", "अवांछित" और "बिहारी संस्कारों के खिलाफ" बताया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने एक जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिसे विवादित और मर्यादा के खिलाफ माना जा रहा है। उन्होंने तीखे लहजे में कहा कि "जो खुद को बड़ा समझते हैं, वो असल में..." — इसके बाद का हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल है और बीजेपी नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री के प्रति अपमानजनक बताया है।
बीजेपी का पलटवार: "बिहार की जनता संस्कार देख रही है"
तेजस्वी के बयान के बाद बीजेपी और एनडीए के नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि "तेजस्वी यादव को ये याद रखना चाहिए कि वह जिस मंच से बोलते हैं, वहां जनता उन्हें सुनती है और उनके संस्कारों का मूल्यांकन करती है। प्रधानमंत्री देश का सम्मान हैं, और उन पर इस तरह की टिप्पणी घोर निंदनीय है।"
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि "तेजस्वी का बयान सिर्फ राजनीतिक मर्यादा का हनन नहीं है, बल्कि ये उनके राजनीतिक दिवालियापन का परिचायक है। अब बात ‘मेरा बाप चोर’ से बढ़कर ‘संस्कार’ तक पहुंच चुकी है। बिहार की जनता यह सब देख और समझ रही है।"
जेडीयू और हम पार्टी ने भी जताई नाराजगी
एनडीए में शामिल जेडीयू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) जैसे सहयोगी दलों ने भी तेजस्वी के बयान की आलोचना की है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि "नेता प्रतिपक्ष होने का यह मतलब नहीं कि आप देश के प्रधानमंत्री पर इस तरह की अभद्र टिप्पणी करें। राजनीति में असहमति हो सकती है, लेकिन भाषा में शिष्टाचार जरूरी है।"
हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी कहा कि "तेजस्वी को पहले अपने बयानों पर नियंत्रण रखना चाहिए। इस तरह की भाषा युवाओं को गलत संदेश देती है।"
राजद का बचाव, बोले – "बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया"
वहीं, आरजेडी ने इस पूरे मुद्दे पर सफाई दी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि "तेजस्वी यादव के बयान को जानबूझकर गलत संदर्भ में प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया, बल्कि सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। एनडीए के पास असली मुद्दों पर बात करने को कुछ नहीं है, इसलिए वह शब्दों को हथियार बना रही है।"