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बिहार में 'डॉग बाबू' को मिला निवास प्रमाण पत्र, तेजस्वी यादव का सरकार पर तंज—व्यवस्था पर उठे सवाल

बिहार में 'डॉग बाबू' को मिला निवास प्रमाण पत्र, तेजस्वी यादव का सरकार पर तंज—व्यवस्था पर उठे सवाल

बिहार की नौकरशाही एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। इस बार वजह बना है पटना जिले के मसौढ़ी अंचल कार्यालय द्वारा एक कुत्ते के नाम पर "निवास प्रमाण पत्र" जारी कर देना। यह मामला सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को सरकार की कार्यप्रणाली पर निशाना साधते हुए जोरदार हमला बोला है।

'डॉग बाबू' के नाम से जारी यह निवास प्रमाण पत्र अब वायरल हो चुका है। दावा किया जा रहा है कि यह प्रमाण पत्र बाकायदा सरकारी फॉर्मेट में मसौढ़ी अंचल कार्यालय की ओर से जारी किया गया है। नाम के स्थान पर लिखा गया है—‘डॉग बाबू’। हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया है कि यह मानवीय त्रुटि थी या किसी व्यक्ति की शरारत। लेकिन जिस तरीके से यह दस्तावेज सिस्टम से जारी हुआ, उसने बिहार की प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस मुद्दे पर सोमवार (28 जुलाई, 2025) को अररिया दौरे पर पहुंचे बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “अब आप समझ सकते हैं कि बिहार में सरकार किस तरह से चल रही है। 'डॉग बाबू' को अगर सरकारी दस्तावेज मिल सकता है, तो आम जनता की फाइलों का क्या हाल होता होगा, ये समझा जा सकता है।”

तेजस्वी यादव ने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी तंत्र पूरी तरह से असंवेदनशील हो गया है और बिना किसी जांच-पड़ताल के निवास प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी कर दिए जाते हैं। उन्होंने इस प्रकरण की जांच की मांग करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, पटना जिला प्रशासन की ओर से इस पर अब तक कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों के अनुसार, मसौढ़ी अंचल कार्यालय के संबंधित कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है और जांच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।

प्रशासनिक स्तर पर चाहे जो भी कार्रवाई हो, लेकिन यह घटना बिहार की शासन व्यवस्था और दस्तावेजी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल बनकर सामने आई है। आम जनता के बीच यह चिंता अब और गहरी हो गई है कि जब एक जानवर के नाम पर प्रमाण पत्र जारी हो सकता है, तो बाकी प्रक्रियाएं कितनी त्रुटिपूर्ण हो सकती हैं।

यह प्रकरण केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरी सरकारी प्रणाली की दक्षता और निगरानी व्यवस्था की पोल खोलता प्रतीत हो रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस शर्मनाक चूक से क्या सबक लेती है।

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