पान अनुसंधान केंद्र में अश्वगंधा की खेती का सफल प्रदर्शन, किसानों को मिलेगा अधिक मुनाफा
पान अनुसंधान केंद्र में अश्वगंधा की खेती का सफल प्रदर्शन किया गया है। वैज्ञानिक डॉ. एसएन दास ने बताया कि बिहार की मिट्टी और जलवायु अश्वगंधा की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि यह फसल पारंपरिक धान-गेहूं की तुलना में किसानों को अधिक आय दिला सकती है।
अश्वगंधा के फायदे और महत्व
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अश्वगंधा, जिसे 'इंडियन जिनसेंग' भी कहा जाता है, आयुर्वेद में तनाव कम करने और शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है।
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इसके नियमित सेवन से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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केंद्र में विभिन्न अश्वगंधा की किस्मों पर शोध चल रहा है, ताकि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली फसल और बेहतर मुनाफा सुनिश्चित किया जा सके।
कृषि अनुसंधान और किसान लाभ
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पान अनुसंधान केंद्र में किसानों के लिए प्रशिक्षण और प्रदर्शन प्रोजेक्ट आयोजित किए जा रहे हैं।
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डॉ. एसएन दास ने कहा कि किसानों को नई तकनीक और उन्नत किस्मों के माध्यम से खेती की अधिक आय सुनिश्चित की जा सकती है।
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इस शोध से यह भी पता चला है कि अश्वगंधा की खेती कम पानी और कम रखरखाव में भी लाभकारी है।
भविष्य की संभावनाएं
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केंद्र की शोध टीम अब विभिन्न मिट्टी और जलवायु क्षेत्रों में अश्वगंधा की उपयुक्त किस्मों का परीक्षण कर रही है।
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इससे बिहार के किसानों को नई फसल अपनाने में मदद मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी।
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कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अश्वगंधा जैसी हर्बल फसलें किसानों को पारंपरिक फसलों पर निर्भरता कम करने और लाभ बढ़ाने का अवसर देती हैं।

