बिहार में एसआईआर पर जेडीयू में फूट? सांसद गिरिधारी यादव को पार्टी ने भेजा कारण बताओ नोटिस
बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। जहां एक ओर विपक्षी दल लगातार एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, वहीं अब सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के भीतर से भी इस अभियान पर सवाल उठने लगे हैं।
ताजा घटनाक्रम में जेडीयू सांसद गिरिधारी यादव को उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान ने 24 जुलाई को यह नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि उन्होंने एसआईआर के खिलाफ बयान क्यों दिया।
गिरिधारी यादव ने क्या कहा था?
लोकसभा में बोलते हुए जेडीयू सांसद गिरिधारी यादव ने कहा था कि "पिछले 11 वर्षों में बिहार को एक भी नई ट्रेन नहीं मिली और राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर भ्रम फैलाया जा रहा है।" उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया की वैधता और समय पर सवाल उठाए थे, जिससे पार्टी नेतृत्व नाराज हो गया।
पार्टी लाइन से भटकने पर कार्रवाई
जेडीयू नेतृत्व का कहना है कि एसआईआर पर पार्टी ने अपना स्पष्ट रुख रखा है और ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग जाकर बयान देना अनुशासनहीनता है। इसलिए सांसद गिरिधारी यादव से 48 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया है कि उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया और किसके कहने पर दिया।
एसआईआर पर विपक्ष का विरोध और NDA में मतभेद?
एसआईआर को लेकर सबसे मुखर विरोध आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कर रहे हैं। उन्होंने इसे जातीय जनगणना की काट बताया है और यहां तक कहा है कि अगर एसआईआर वापस नहीं हुआ तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार भी किया जा सकता है।
अब जेडीयू सांसद का बयान और पार्टी की ओर से नोटिस इस बात का संकेत है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद उभर रहे हैं।
क्या है एसआईआर?
बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) चल रहा है, जिसके तहत मतदाताओं के नाम की दोबारा जांच, संशोधन और नये नाम जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। विपक्ष का आरोप है कि यह कवायद एक खास समुदाय के वोटरों को हटाने के लिए की जा रही है, जबकि सरकार का कहना है कि यह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है।

