बिहार में शुरू हुआ मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण, 2003 की सूची से गायब नामों के लिए जरूरी होगा दस्तावेज

बिहार में इस वर्ष के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया के तहत, जिन मतदाताओं का नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं है, उन्हें पूर्व-मुद्रित गणना फॉर्म भरना और सहायक दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होगा।
प्रक्रिया की समयसीमा और चरण
यह विशेष पुनरीक्षण अभियान 25 जून से शुरू होकर 26 जुलाई 2025 तक चलेगा।
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इस अवधि में बीएलओ (Booth Level Officers) हर घर जाकर संबंधित व्यक्तियों को पूर्व-प्रिंटेड गणना फॉर्म (Enumeration Form) देंगे।
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जिन मतदाताओं का नाम 2003 की मूल सूची में दर्ज नहीं है, उन्हें यह फॉर्म भरना और पहचान, आयु, पते आदि से जुड़े सहायक दस्तावेज जमा करना होगा।
इसके बाद:
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1 अगस्त 2025 को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
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30 सितंबर 2025 तक अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी।
उद्देश्य और चुनौतियां
चुनाव आयोग का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन, सटीक और पारदर्शी बनाना है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया से किसी भी योग्य मतदाता को बाहर नहीं किया जाएगा, लेकिन 2003 की सूची में दर्ज नहीं होने वाले सभी नए मतदाताओं को उचित प्रमाण देना अनिवार्य होगा।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।
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इंडिया गठबंधन और तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया को शक की नजर से देखते हुए NRC जैसी कवायद बताया है।
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वहीं, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे गरीब और पिछड़े वर्गों के साथ अन्याय बताते हुए क्रूर मजाक करार दिया है।
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दूसरी ओर, चुनाव आयोग और केंद्र सरकार इसे सुनियोजित और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम बता रहे हैं।
आम मतदाता के लिए क्या जरूरी?
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अगर आपका नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं है, तो आपको गणना फॉर्म भरना जरूरी होगा।
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आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना होगा।
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यह प्रक्रिया घर-घर जाकर और बूथ स्तर पर बीएलओ द्वारा कराई जाएगी।