बिहार में बढ़ा सियासी तूफान, सोशल वर्कर रिया पासवान ने पटना पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
बिहार में राजनीति एक बार फिर गरमा गई है और इस बार मुद्दा पटना पुलिस की कार्यवाही को लेकर है। सोशल वर्कर रिया पासवान ने पुलिस पर मारपीट और तोड़फोड़ के गंभीर आरोप लगाए हैं। रिया के मुताबिक, पटना पुलिस ने मंगलवार रात 2:00 बजे उनके घर में घुसकर न सिर्फ उनसे मारपीट की, बल्कि उनके कपड़े भी फाड़ दिए। रिया का यह आरोप राज्य की राजनीति में एक नया विवाद उत्पन्न कर रहा है, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है।
रिया पासवान ने बताया कि उस रात उनके घर में कुल 8 पुलिसकर्मी मौजूद थे, जिनमें से कोई भी पुलिसकर्मी वर्दी में नहीं था। केवल एक महिला पुलिसकर्मी उनके घर में थी, और अन्य सभी पुरुष पुलिसकर्मी बिना वर्दी के थे। रिया का दावा है कि इन पुलिसकर्मियों ने उनके घर में घुसकर न केवल शारीरिक रूप से हमला किया, बल्कि घर में तोड़फोड़ भी की। रिया ने कहा, "यह एक हिंसक और अनावश्यक कार्रवाई थी, जिसे किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराया जा सकता।"
इसके अलावा, रिया ने यह भी बताया कि पुलिस ने उनकी प्रेग्नेंट भाभी के साथ भी मारपीट की, जो पूरी घटना को और भी निंदनीय बनाता है। रिया के आरोप के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस तरह की पुलिस कार्यवाही के पीछे कोई राजनीतिक कारण था, या फिर यह सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम था।
इस घटना पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। पार्टी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि यह एक गंभीर मामला है और इसका राजनीतिक रंग लिया जा सकता है। कांग्रेस ने बिहार पुलिस के इस तरह के व्यवहार को लोकतंत्र और मानवाधिकारों के खिलाफ बताया। कांग्रेस के नेताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस घटना ने बिहार में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह सियासी मुद्दा बन गया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार और पुलिस प्रशासन की नाकामी के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो आम लोगों के सुरक्षा अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।
हालांकि, इस घटना के बाद बिहार पुलिस ने अपनी सफाई में कहा कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जब तक इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक यह मामला सियासी रंग लेता रहेगा और विपक्ष के द्वारा इसे सरकार के खिलाफ एक बड़ा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या बिहार पुलिस अपने कदाचारियों के खिलाफ ठोस कदम उठाती है। इस घटना ने न केवल बिहार के नागरिकों को चौंका दिया है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

