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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बिहार में सनातनी राजनीति का शंखनाद किया, सभी सीटों पर गौ भक्त उम्मीदवार उतारने का ऐलान

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बिहार में सनातनी राजनीति का शंखनाद किया, सभी सीटों पर गौ भक्त उम्मीदवार उतारने का ऐलान

जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बिहार में सनातनी राजनीति का शंखनाद कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर निर्दलीय गौ भक्त प्रत्याशी उतारे जाएंगे। इस ऐलान से राज्य की राजनीतिक हलचल में नया मोड़ आ गया है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह निर्णय धार्मिक और सामाजिक आधार पर लिया है। उनका कहना है कि राज्य में गाय के संरक्षण और सनातनी मूल्यों की रक्षा के लिए राजनीतिक रूप से संगठित प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गौ रक्षा और धार्मिक संस्कारों को आगे बढ़ाने वाले उम्मीदवारों को जनता के बीच भेजा जाएगा, ताकि समाज में धार्मिक चेतना और पारंपरिक मूल्यों को मजबूत किया जा सके।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शंकराचार्य का यह कदम बिहार की राजनीति में सनातनी विचारधारा को मजबूती देने की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि निर्दलीय उम्मीदवारों के उतारने से पार्टी आधारित राजनीति पर कितना असर पड़ेगा, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रेस वार्ता में बताया कि उनके उम्मीदवार सभी जातियों और वर्गों के लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे और उनका लक्ष्य केवल धार्मिक मूल्यों का प्रसार नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी है। उन्होंने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को स्थानीय लोगों की समस्याओं और जरूरतों की गहरी समझ होगी।

राजनीतिक पार्टियों ने शंकराचार्य के इस ऐलान पर प्रतिक्रिया देना अभी शुरू किया है। कुछ दलों ने इसे चुनावी रणनीति के तौर पर देखा है, जबकि कुछ ने इसे धर्म और राजनीति के मिश्रण की चुनौती के रूप में माना है। चुनावी विश्लेषक यह भी मानते हैं कि निर्दलीय उम्मीदवारों की भागीदारी से मतभेद और गठबंधन की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है।

स्थानीय जनता और धार्मिक संगठन इस कदम को उत्साह और सतर्कता के मिश्रित भाव से देख रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों का अधिक प्रभाव होता है, वहां इस घोषणा का असर चुनाव परिणामों पर महत्वपूर्ण हो सकता है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उनके प्रत्याशी गाय संरक्षण, सामाजिक सेवा और पारंपरिक संस्कारों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अभियान का मकसद केवल राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि समाज में धार्मिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों का प्रसार भी है।

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