पठारी क्षेत्रों में एससी/एसटी किसानों को मिलेगा तालाब आधारित मछली पालन का लाभ, बिहार सरकार की नई योजना शुरू

बिहार सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी/एसटी) वर्ग के किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल की है। सरकार ने पठारी क्षेत्रों में तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन योजना की शुरुआत की है, जिससे हजारों मत्स्य कृषकों को सतत आजीविका का जरिया मिलेगा।
दक्षिणी बिहार के आठ जिलों के किसानों को मिलेगा लाभ
इस योजना का लाभ विशेष रूप से दक्षिण बिहार के आठ पठार बाहुल्य जिलों – बांका, औरंगाबाद, गया, कैमूर, नवादा, जमुई, मुंगेर और रोहतास – के अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के मत्स्य पालन करने वाले किसानों को मिलेगा। इन जिलों में जलस्रोतों की कमी और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कृषि और मत्स्य पालन की संभावनाएं अब तक सीमित थीं।
क्या है योजना?
बिहार सरकार द्वारा संचालित इस योजना के तहत:
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सरकारी सहायता से तालाबों का निर्माण कराया जाएगा।
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तालाब निर्माण के लिए लागत का बड़ा हिस्सा सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा।
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निर्माण के बाद किसानों को मछली पालन के लिए प्रशिक्षण, आवश्यक संसाधन और तकनीकी मदद भी दी जाएगी।
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इस योजना के तहत पेयजल और सिंचाई जैसी सहायक सुविधाओं का भी प्रावधान किया गया है।
आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
यह योजना "आत्मनिर्भर मत्स्य कृषक" बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। इससे जहां एससी/एसटी समुदाय के किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया बल मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि इन वर्गों के किसानों को आधुनिक मत्स्य पालन के जरिए आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए।
सरकारी अधिकारियों का बयान
राज्य मत्स्य निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया:
“पठारी इलाकों में मछली पालन की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण किसान पिछड़ जाते हैं। सरकार की यह योजना इस अंतर को पाटने का काम करेगी और स्थानीय किसानों को स्वरोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी।”