समस्तीपुर सदर अस्पताल में मानवता शर्मसार: बीमार बेटी के इलाज के लिए घंटों भटकती रही बुजुर्ग मां, किसी ने नहीं सुनी फरियाद

राज्य सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किए जा रहे तमाम दावों की पोल एक बार फिर खुल गई है। समस्तीपुर सदर अस्पताल से सामने आई एक मानवता को झकझोर देने वाली तस्वीर ने व्यवस्था की संवेदनहीनता उजागर कर दी है। यहां एक बुजुर्ग महिला अपनी बीमार बेटी को लेकर घंटों अस्पताल परिसर में भीगती रही, लेकिन किसी डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी ने उनकी सुध नहीं ली।
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह सवाल भी खड़े करती है कि क्या सरकारी अस्पताल अब गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की बजाय, उन्हें नजरअंदाज करने की जगह बनते जा रहे हैं?
क्या है मामला?
घटना सोमवार की बताई जा रही है, जब लगातार बारिश हो रही थी। उसी बारिश में भीगती हुई एक बुजुर्ग महिला अपनी बीमार बेटी को लेकर समस्तीपुर सदर अस्पताल पहुंची। उन्होंने अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों से इलाज की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।
चश्मदीदों के अनुसार, महिला और उसकी बेटी घंटों तक ओपीडी और इमरजेंसी के बीच इधर-उधर भटकते रहे। इस दौरान न तो किसी ने उन्हें स्ट्रेचर मुहैया कराया, न छत के नीचे बैठने की व्यवस्था की गई। बारिश से भीगते हुए, बीमार बेटी को गोद में उठाए यह मां मदद के लिए लोगों से विनती करती रही, लेकिन चारों ओर से उसे सिर्फ उपेक्षा ही मिली।
स्वास्थ्यकर्मियों की संवेदनहीनता उजागर
इस घटना से अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों और स्टाफ की संवेदनहीनता और लापरवाही एक बार फिर उजागर हो गई है। एक ओर जहां सरकार आमजन को बेहतर इलाज देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है।
स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी इमरजेंसी मरीज को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना आवश्यक है, लेकिन यहां तो मरीज को देखना तक जरूरी नहीं समझा गया।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है। कई समाजसेवियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय निवासी रंजीत कुमार का कहना है, "अगर सरकारी अस्पतालों में ऐसा ही हाल रहा, तो गरीब कहां जाएं? ये एक शर्मनाक और दुखद घटना है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।"
प्रशासन की चुप्पी
अब तक अस्पताल प्रशासन या जिला स्वास्थ्य अधिकारी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह चुप्पी खुद एक बड़ा सवाल बन गई है कि क्या इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं, जिनका जवाबदेह कोई नहीं?