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बिहार में सरकारी शिक्षकों की शिकायतों की अनदेखी पर एस सिद्धार्थ का बयान, जिलास्तर पर समाधान का निर्देश

बिहार में सरकारी शिक्षकों की शिकायतों की अनदेखी पर एस सिद्धार्थ का बयान, जिलास्तर पर समाधान का निर्देश

बिहार में सरकारी शिक्षकों की शिकायतों को लेकर कई बार आरोप लगाए गए हैं कि उनकी समस्याओं की अनदेखी की जा रही है और उनकी सुनवाई नहीं हो रही। शिक्षकों ने यह भी कहा है कि उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई तैयार नहीं है। इस मुद्दे पर अब बिहार के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने ध्यान आकर्षित किया है और शिक्षकों को अपनी शिकायतों का समाधान जिलास्तर पर ही करवाने का निर्देश दिया है।

शिक्षकों की शिकायतों का समाधान

अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने हाल के दिनों में यह देखा कि कई शिक्षकगण अपनी समस्याओं को लेकर सीधे राज्य मुख्यालय पहुंच रहे हैं। एस सिद्धार्थ का कहना था कि यदि इस विभाग के 10 लाख कर्मचारियों में से एक छोटा सा प्रतिशत भी अपनी शिकायतों को लेकर राज्य मुख्यालय आता है, तो इसकी संख्या बहुत बढ़ जाएगी और इससे विभाग के कार्यों के संचालन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

एस सिद्धार्थ ने कहा कि राज्य मुख्यालय में हर शिक्षक की समस्याओं का समाधान करना संभव नहीं है, क्योंकि यह न केवल विभागीय कार्यों में विघ्न डालता है, बल्कि शिक्षकों की संख्या इतनी अधिक है कि इसे संभालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, उन्होंने जिलास्तर पर ही समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया है, ताकि विभागीय कामों में कोई रुकावट न आए और शिक्षकों को शीघ्र समाधान मिल सके।

जिलास्तर पर समाधान

बिहार के सरकारी शिक्षा विभाग में लगभग 10 लाख कर्मी हैं, और उनकी समस्याओं को लेकर राज्य मुख्यालय पर हर बार बड़ी संख्या में शिक्षक पहुंचते हैं। एस सिद्धार्थ का कहना है कि यदि इस समस्या को जिलास्तर पर सुलझाया जाए, तो न केवल शिक्षकगण की परेशानियों का समाधान होगा, बल्कि राज्य मुख्यालय पर भी कार्यों का बोझ कम होगा।

शिक्षकों के लिए निर्देश

अपर मुख्य सचिव ने सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे अपनी समस्याओं का समाधान जिलास्तर पर ही कराने का प्रयास करें। इसके लिए शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि उनकी शिकायतें उचित तरीके से हल की जाएं।

इस निर्देश से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार अब चाहती है कि शिक्षक अपनी शिकायतों के समाधान के लिए सीधे राज्य मुख्यालय की ओर न बढ़ें, बल्कि पहले जिलास्तर पर ही समाधान की कोशिश करें, ताकि कार्य संचालन में कोई रुकावट न हो और समस्याओं का निवारण जल्दी हो सके।

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