‘बिहार में बढ़ते अपराध के लिए RJD जिम्मेदार’, क्या इस ठीकरे से CM नीतीश को मिल जाएगी क्लीन चिट
बिहार में अपराध का ग्राफ इन दिनों तेज़ी से बढ़ रहा है। राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न ज़िलों में लगातार हत्या, लूट और गोलीबारी की घटनाएँ सामने आ रही हैं। इससे बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एक ओर जहाँ विपक्ष सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इन घटनाओं के लिए विपक्ष, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार विपक्ष पर आरोप लगाकर इस ज़िम्मेदारी से बच सकते हैं?
अपराध की घटनाएँ सुशासन की पोल खोलती हैं
हाल ही में राजधानी पटना में खेमका हत्याकांड ने सनसनी फैला दी थी। इसके बाद रानी तालाब थाना क्षेत्र के धनहा गाँव में बालू कारोबारी रमाकांत यादव की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं, पूर्वी अशोक स्थित त्रिशा मिनी मार्ट के मालिक विक्रम कुमार झा की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुनपुन में भाजपा नेता सुरेंद्र केवट की हत्या ने एनडीए के लिए राजनीतिक संकट गहरा दिया है। इन घटनाओं ने लोगों के मन में भय पैदा कर दिया है और 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश कुमार की छवि को गंभीर रूप से धूमिल किया है।
जुलाई के आखिरी 12 दिनों में राज्य भर में लगभग 35 हत्याएँ हो चुकी हैं। सीतामढ़ी में एक व्यापारी की हत्या, नालंदा में एक नर्स की हत्या और गया व खगड़िया में युवकों की हत्या जैसी घटनाएँ बताती हैं कि अपराधी कितने दुस्साहसी हैं।

