तेज प्रताप यादव को झटका, 6 साल के लिए पार्टी से निकाले गए, लालू यादव ने परिवार से भी किया बेदखल

तेजप्रताप यादव के अब राजद के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना कम है। ऐसे में राजद के अंदर दो विधानसभा क्षेत्रों के दावेदारों की बांछे खिल गई हैं। वे विधानसभा क्षेत्र महुआ और हसनपुर हैं, जिनसे तेजप्रताप का अतीत और वर्तमान में संबंध रहा है।
तेजप्रताप यादव पहली बार 2015 में विधायक चुने गए थे। सौभाग्य इतना कि वे मंत्री भी बने। तब वे विधानसभा में महुआ का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
तेजप्रताप का चुनावी ब्योरा
चुनावी वर्ष | सीट | विजेता (दल) | प्राप्त मत | उप विजेता (दल), प्राप्त मत |
2015 | महुआ | तेजप्रताप यादव (राजद) | 66927 | रविंद्र राय (हम), 38772 |
2020 | हसनपुर | तेजप्रताप यादव (राजद) | 80991 | राजकुमार राय (जदयू), 59852 |
यह जीत भी बड़े मतों के अंतर से हासिल हुई। फिर कुछ अन्य प्रकार का महागठबंधन भी अस्तित्व में आया। जेडीयू और कांग्रेस ने आरजेडी के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था और तेजप्रताप की जीत को उसी तालमेल का नतीजा बताया गया था।
बाद में जेडी(यू) का मोहभंग हो गया और वह ग्रैंड अलायंस से अलग हो गई। महागठबंधन की सरकार नहीं थी, इसलिए तेजप्रताप भी सिर्फ विधायक की हैसियत से ही रह गए।
बदलते हालात में उन्हें विधानसभा क्षेत्र भी बदलना पड़ा और 2020 में वे महुआ छोड़कर हसनपुर चले गए। वहां भी जीत बड़ी थी, लेकिन इसका कारण सत्ता विरोधी लहर बताया गया। जेडी(यू) उम्मीदवार राजकुमार राय थे, जो हसनपुर से दो बार विधायक चुने गए थे। तब तेजप्रताप 20 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीते थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनकी प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि हसनपुर से भी उनका दिमाग खराब हो गया है। इस बार चुनाव में वे महुआ वापस आना चाहते थे लेकिन उससे पहले ही बर्फबारी हो गई।