छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन, देश-प्रदेश में शोक की लहर

छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य कवि और पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे अब हमारे बीच नहीं रहे। 72 वर्ष की उम्र में उन्होंने गुरुवार को रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। बताया जाता है कि उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी हालत बिगड़ने के कारण उनका निधन हो गया।
काव्य और साहित्य जगत में शोक की लहर
उनके निधन की खबर से छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि समूचे देश में शोक की लहर फैल गई है। कला जगत, काव्य जगत, साहित्य जगत, और राजनीतिक जगत समेत सभी वर्गों में उनके निधन की खबर से शोक की भावना व्यक्त की जा रही है। डॉ. सुरेंद्र दुबे ने अपनी हास्य और व्यंग्यात्मक कविताओं से न केवल छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि पूरे भारतीय साहित्य को भी एक नया आयाम दिया।
उनकी कविताओं का प्रभाव
डॉ. सुरेंद्र दुबे की कविताएँ न केवल हंसी के साथ गहरी सामाजिक और राजनीतिक टिप्पणियाँ करती थीं, बल्कि उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से समाज के गंभीर मुद्दों पर भी प्रकाश डाला। उनकी रचनाओं ने न केवल छत्तीसगढ़ी संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि उनकी कविताओं का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला। उनकी कविताओं की रचनात्मकता, सामाजिक संदेश, और हास्य प्रवृत्तियाँ लोगों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।
राजनीतिक और सामाजिक योगदान
डॉ. दुबे ने अपने जीवन में समाज और राजनीति के विभिन्न पहलुओं को अपनी कविताओं के माध्यम से उजागर किया। उनकी कविताएं अक्सर राजनीतिक घटनाओं, समाज के बदलावों, और भारत के विकास की दिशा पर तीखा व्यंग्य करती थीं। उनकी कविता 'टाइगर अभी जिंदा है' और 'पीएम मोदी के आने से फर्क पड़ा है' आज भी लोगों के बीच गूंजती हैं।
स्मरणीय योगदान
डॉ. सुरेंद्र दुबे का योगदान न केवल साहित्य और कविता के क्षेत्र में था, बल्कि उन्होंने समाज और संस्कृति को भी अपने विचारों से समृद्ध किया। उनका हास्य काव्य एक ऐसा अनूठा तरीका था, जिससे उन्होंने समाज के हल्के-फुल्के मुद्दों को भी गंभीरता से समझाने का प्रयास किया। उनकी रचनाएँ हमेशा लोगों को हंसी के साथ-साथ एक सोचने की दिशा देती थीं।
शोक संवेदनाएँ
उनके निधन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, साहित्यकार, कलाकार और अन्य समाजिक नेता ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, "डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।"
सभी वर्गों के लोग इस दुखद घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े हैं और उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। डॉ. दुबे की कविताएं, उनकी लेखनी, और उनका समाज के प्रति दृष्टिकोण हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगा।
अंतिम विदाई
उनकी अंतिम यात्रा में उनकी कृतियों के प्रशंसक, परिवार और दोस्त शामिल होंगे, जिन्होंने उनके योगदान को स्वीकार किया और उनकी साहित्यिक विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उनके निधन ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि समूचे भारत को एक महान कवि और साहित्यकार से वंचित कर दिया है, लेकिन उनकी रचनाएँ हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगी।