तमिलनाडु के छोटे से गांव से निकले आर. मुहिलराज, मेहनत और लगन से पहुंचे IIT मद्रास

"सपने उन्हीं के सच होते हैं, जो उन्हें पूरा करने की हिम्मत रखते हैं।" इस बात को सच कर दिखाया है तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में रहने वाले आर. मुहिलराज (R. Muhilraj) ने। सीमित संसाधनों और साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले मुहिलराज ने मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन के दम पर वह मुकाम हासिल किया है, जिसे लाखों छात्र केवल सपना ही मानते हैं — IIT मद्रास में प्रवेश।
मुहिलराज ने IIT मद्रास के नेवल आर्किटेक्चर एंड ओसियन इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन पाकर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया है। जहां बड़े शहरों में रहने वाले छात्र कोचिंग संस्थानों और बेहतर संसाधनों के सहारे आईआईटी की तैयारी करते हैं, वहीं मुहिलराज ने साधारण स्कूलिंग और सीमित संसाधनों के बावजूद यह असंभव सा दिखने वाला लक्ष्य हासिल किया।
उनकी सफलता की कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, धैर्य और निरंतर प्रयास से कोई भी छात्र अपनी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि को पीछे छोड़ सकता है। बताया जा रहा है कि मुहिलराज ने ग्रामीण क्षेत्र में रहकर ऑनलाइन संसाधनों और कुछ मार्गदर्शकों की मदद से खुद को तैयार किया। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ाई नहीं छोड़ी और हर असफलता को एक सीख की तरह लिया।
उनकी सफलता पर IIT मद्रास प्रशासन ने भी सराहना व्यक्त की है। संस्थान ने इसे ‘शिक्षा में समान अवसर’ की मिसाल बताया है और कहा है कि मुहिलराज जैसे प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए संस्थान हरसंभव प्रयास करता रहेगा।
मुहिलराज ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और उन मार्गदर्शकों को दिया जिन्होंने कठिन समय में उन्हें न केवल मानसिक सहारा दिया, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बनाए रखा।
उन्होंने कहा:
"मैंने कभी हार नहीं मानी। मुझे पता था कि अगर मैं मेहनत करूंगा तो एक दिन IIT पहुंच सकता हूं। आज मेरा सपना सच हुआ है। अब मेरा लक्ष्य है कि मैं इस क्षेत्र में कुछ नया करूं और अपने जैसे छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करूं।"