प्रशांत किशोर की बिहार में सियासी दस्तक: चुनाव से पहले जनता के मूड का आकलन, दावा 60% लोग चाहते हैं बदलाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। उन्होंने करीब दो साल पहले ही बिहार की जमीन पर पैठ बनानी शुरू कर दी थी। गांव-गांव घूमकर, आम जनता से संवाद करते हुए उन्होंने जन सुराज आंदोलन की शुरुआत की, जिसे अब वे एक राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित करने में जुटे हैं।
गांव-गांव जाकर जनता से सीधा संवाद
पीके ने पिछले दो वर्षों में बिहार के सैकड़ों गांवों का दौरा किया, लोगों से संवाद किया और उनकी समस्याएं जानीं। उन्होंने बार-बार इस बात को दोहराया कि बिहार के लोग बदलाव चाहते हैं, लेकिन उन्हें विकल्प नजर नहीं आता। जन सुराज का उद्देश्य इसी विकल्प की तलाश को पूरा करना है।
जन सुराज को बताया ‘नई दिशा’
प्रशांत किशोर का कहना है कि जन सुराज कोई परंपरागत पार्टी नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है जो जनता की समस्याओं से निकलकर जन-समाधानों की ओर ले जाएगा। वे इसे जनता का आंदोलन बताते हैं, जिसका उद्देश्य बिहार की राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था में बदलाव लाना है।
दावा: इस बार बदलाव की हवा है
प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी टीम ने अब तक जो फीडबैक जुटाया है, उसके अनुसार राज्य के 60 प्रतिशत लोग मौजूदा व्यवस्था से असंतुष्ट हैं और बदलाव चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता परंपरागत राजनीतिक दलों से थक चुकी है और अब नई सोच और साफ-सुथरी राजनीति की तलाश में है।
मिशन 2025 की तैयारी में जुटे पीके
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को एक गंभीर राजनीतिक दावेदार के रूप में पेश करेंगे। इसके लिए वे लगातार जनसंवाद यात्रा, बैठकों और सभाओं के माध्यम से जन-आधार बढ़ाने में लगे हैं।
विपक्ष और सत्तापक्ष पर निशाना
पीके का कहना है कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार हो या विपक्ष, दोनों जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे हैं। उन्होंने कहा, "बिहार को बदलाव की जरूरत है, लेकिन वही चेहरे बार-बार बदलते नामों और गठबंधनों के साथ लौट आते हैं। इससे व्यवस्था नहीं बदलती।"