बिहार चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान – "जन सुराज या तो अर्श पर या फर्श पर"

जन सुराज पार्टी के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। बुधवार को आयोजित एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा, "इस बार जन सुराज या तो अर्श पर होगा या फर्श पर।" उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तीखी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
चुनावी मूड में प्रशांत किशोर
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रशांत किशोर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जन सुराज अब चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतरेगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी समझौतावादी राजनीति से दूर रहकर जनता की उम्मीदों और ज़मीनी मुद्दों के आधार पर चुनाव लड़ेगी। किशोर ने कहा, “यह चुनाव हमारे लिए निर्णायक है। या तो जनता हमें पूरी तरह से स्वीकार करेगी, या हमें नकार देगी। इसलिए हमने तय कर लिया है – इस बार या तो अर्श पर रहेंगे या फर्श पर।”
नीतीश सरकार पर निशाना
प्रशांत किशोर ने इस मौके पर नीतीश कुमार की सरकार को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बिहार में विकास के दावे खोखले हैं और जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रही है। "स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, और नौजवान बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। ऐसी स्थिति में बदलाव ज़रूरी है, और जन सुराज उसी बदलाव की शुरुआत है," उन्होंने कहा।
जन सुराज का एजेंडा
प्रशांत किशोर ने बताया कि जन सुराज पार्टी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुशासन को अपने मुख्य चुनावी मुद्दे के रूप में लेकर आगे बढ़ेगी। उन्होंने दावा किया कि पिछले दो सालों में उन्होंने राज्य के सैकड़ों प्रखंडों और हजारों पंचायतों का दौरा कर जनता की बात को नज़दीक से समझा है।
उन्होंने कहा कि यह कोई हवा में बनी पार्टी नहीं है, बल्कि यह जमीनी आंदोलन से निकली एक नई राजनीतिक सोच है, जो बिहार को एक नई दिशा देने का दावा करती है।
साफ-सुथरी राजनीति पर जोर
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जन सुराज किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी और अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, “हमारी राजनीति समझौते की नहीं, सिद्धांतों की है। हम टिकट केवल उन्हीं को देंगे, जिनका समाज में अच्छा रिकॉर्ड है और जो जनता की सेवा करना चाहते हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें
प्रशांत किशोर के इस बयान ने बिहार की सियासी ज़मीन को गर्मा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘अर्श या फर्श’ वाला बयान दर्शाता है कि किशोर इस बार कोई मध्य मार्ग नहीं अपनाना चाहते। या तो उनकी पार्टी को जनता सिर माथे पर बिठाएगी, या पूरी तरह नकार देगी।
जनता की उम्मीदें और चुनौतियां
जहां एक तरफ जन सुराज के समर्थक इसे बदलाव की बयार बता रहे हैं, वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि बिहार जैसे राज्य में नई पार्टी के लिए खुद को स्थापित करना आसान नहीं होगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या जन सुराज वाकई अर्श तक पहुंचेगी या फर्श पर ही रह जाएगी — इसका फैसला तो आने वाला चुनाव ही करेगा।