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सावन में सियासी सागर उफान पर: बिहार में शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान

सावन में सियासी सागर उफान पर: बिहार में शराबबंदी को लेकर प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान

बिहार की राजनीति इन दिनों सावन की तरह उमड़-घुमड़ कर सामने आ रही है। विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सियासी तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है। राजनीतिक दलों और नेताओं की ओर से वादों की बौछार हो रही है—कभी रोजगार की गारंटी तो कभी महंगाई से राहत की बात। लेकिन इस बीच एक ऐसा वादा सुर्खियों में है जिसने चुनावी बहस को नई दिशा दे दी है—शराबबंदी खत्म करने का वादा।

इस बहस की सबसे प्रखर आवाज बनकर उभरे हैं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर। अपने बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाने वाले किशोर ने खुलकर कहा है कि अगर बिहार में जन सुराज की सरकार बनी, तो एक घंटे के अंदर राज्य में शराबबंदी खत्म कर दी जाएगी। उनका यह बयान सावन के पावन महीने में आया है, जब राज्य की राजनीति आध्यात्मिक रंगों से भी सराबोर रहती है।

शराबबंदी पर प्रशांत किशोर का रुख

प्रशांत किशोर ने साफ कहा कि बिहार में शराबबंदी एक दिखावा है। सरकार ने यह कदम सिर्फ दिखाने के लिए उठाया, जबकि हकीकत में शराब की अवैध बिक्री और तस्करी ने राज्य में अपराध को जन्म दिया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शराबबंदी है, तो हर हफ्ते हजारों लीटर शराब की बरामदगी कैसे हो रही है?

उनका दावा है कि शराबबंदी से ना तो समाज में सुधार आया है और ना ही महिलाओं की सुरक्षा बढ़ी है। बल्कि इसका उल्टा असर हुआ है—पुलिस-प्रशासन का एक वर्ग इस अवैध धंधे में लिप्त हो गया है और आम जनता परेशान है।

जनता को मिला मुद्दा

शराबबंदी लंबे समय से बिहार की राजनीति का संवेदनशील मुद्दा रहा है। नीतीश सरकार ने इसे 2016 में लागू किया था और इसे महिलाओं के हक में बताया था। हालांकि, बीते कुछ वर्षों में इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं—कई मौतें जहरीली शराब से, जेलों में बढ़ती भीड़, पुलिस की मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप।

प्रशांत किशोर का यह वादा अब उन लोगों को एक विकल्प दे रहा है जो इस नीति से परेशान हैं। खासकर युवा और मजदूर वर्ग में इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

विपक्ष और सत्तापक्ष में टकराव तेज

जहां एक ओर किशोर की यह घोषणा उन्हें सुर्खियों में ला रही है, वहीं सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा इसे सामाजिक पतन की दिशा में उठाया गया कदम बता रही हैं। जदयू के नेताओं का कहना है कि शराबबंदी से समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई है और किशोर सिर्फ सत्ता की लालसा में ऐसी बयानबाज़ी कर रहे हैं।

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