Samachar Nama
×

बिहार चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सियासत गरमाई, पप्पू यादव ने किया बिहार बंद का ऐलान

बिहार चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सियासत गरमाई, पप्पू यादव ने किया बिहार बंद का ऐलान

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए 'विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण' (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है।
इस प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाते हुए पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने 9 जुलाई को बिहार बंद और चुनाव आयोग कार्यालय का घेराव करने का ऐलान किया है।

पप्पू यादव ने आरोप लगाया है कि इस पुनरीक्षण अभियान के जरिए गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश रची जा रही है।

क्या है पप्पू यादव का आरोप?

पप्पू यादव ने कहा कि

"BLOs (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा दस्तावेजों की मनमानी जांच की जा रही है। आम जनता के पास जो दस्तावेज हैं – जैसे आधार कार्ड, मनरेगा कार्ड, राशन कार्ड – उन्हें खारिज किया जा रहा है।"

उन्होंने इसे एक सुनियोजित योजना बताया, जिसके तहत लाखों गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जा सकता है।

हाई कोर्ट जाने की तैयारी

पप्पू यादव ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले को लेकर जल्द ही पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे ताकि मतदाता सूची में लोगों को गलत तरीके से बाहर करने की प्रक्रिया पर कानूनी रोक लगाई जा सके।

क्या कहता है चुनाव आयोग?

चुनाव आयोग की ओर से अभी तक इस विरोध पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आयोग का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य वोटर लिस्ट को त्रुटिरहित और पारदर्शी बनाना है।

BLO द्वारा दस्तावेजों की मांग को लेकर यह भी स्पष्ट किया गया है कि निवास, उम्र और पहचान का वैध प्रमाण जरूरी है, लेकिन कुछ जिलों में BLO द्वारा दस्तावेजों की गलत व्याख्या की खबरें जरूर सामने आई हैं।

पप्पू यादव का 'मास्टरस्ट्रोक'?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर पप्पू यादव ने आगामी चुनाव में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का प्रयास किया है।
गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक पर उनकी नजर है, और यह मुद्दा उन्हें इन वर्गों के करीब ला सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह मामला और गर्माया तो यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि चुनावी नैरेटिव का बड़ा हिस्सा बन सकता है।

अन्य दलों की प्रतिक्रिया

विपक्षी दल जैसे राजद और कांग्रेस पहले ही इस प्रक्रिया को लेकर सवाल उठा चुके हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी आधार और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को खारिज करने पर आपत्ति जताई थी।

Share this story

Tags