बिहार चुनाव से पहले SIR को लेकर गरमाई सियासत, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद बोले- "10 फीसदी लोग करना चाहते हैं शासन, बाकी को बनाना चाहते हैं गुलाम
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक हलचल जोरों पर है। इसी बीच चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभियान ने नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। आयोग ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि वोटर लिस्ट में करीब 52.30 लाख मतदाता अमान्य पाए गए हैं। इनमें 18.5 लाख मृत, 26 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित, 7.5 लाख डुप्लिकेट, और 11 हजार मतदाताओं का पता नहीं चल पाया।
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को लेकर अब विपक्ष भी हमलावर हो गया है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने SIR पर प्रतिक्रिया देते हुए तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा—
"देश में केवल 10 प्रतिशत लोग ही शासन करना चाहते हैं और बाकी के 90 प्रतिशत लोगों को गुलाम बना देना चाहते हैं। ये जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो इसी साजिश की तरफ इशारा कर रहे हैं।"
इमरान मसूद का बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी दल पहले ही चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में धांधली और जनता की नागरिकता पर संदेह करने का आरोप लगा चुके हैं।
वहीं, इस मुद्दे को लेकर बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में भी जबरदस्त हंगामा देखा गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि—
"नागरिकता तय करने का अधिकार भारत सरकार और गृह मंत्रालय का है, न कि चुनाव आयोग का। बिहार पहले ही दस्तावेज के मामले में सबसे फिसड्डी है।"
अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस राजनीतिक बवंडर के बीच कैसे संतुलन बनाकर SIR अभियान को आगे बढ़ाता है। लेकिन इतना तय है कि बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची का यह मामला अब एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभर चुका है।
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