बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में सियासी सरगर्मी चरम पर है। जेल में रह रहे नेता अनंत सिंह के समर्थन में जनता दल (यूनाइटेड) – जेडीयू ने सक्रिय कदम उठाए हैं। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने खुद चुनावी कमान संभालते हुए पार्टी के प्रचार अभियान को दिशा दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति जेडीयू की पारंपरिक चुनावी रणनीति से अलग है। आम तौर पर पार्टी जेल में बैठे नेताओं के समर्थन में इतनी खुलकर सामने नहीं आती थी, लेकिन मोकामा में जेडीयू ने अनंत सिंह की लोकप्रियता और क्षेत्रीय प्रभाव को भुनाने का निर्णय लिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम पार्टी की एनडीए में स्थिति मजबूत करने और मोकामा सीट पर जीत सुनिश्चित करने की रणनीति का हिस्सा है। अनंत सिंह के प्रभाव और उनके समर्थकों के वोट बैंक को देखते हुए, जेडीयू ने प्रचार में सक्रियता बढ़ाई है और क्षेत्रीय नेताओं को मोर्चे पर उतारा है।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में पहले ही सियासी प्रतिस्पर्धा कड़ी मानी जा रही है। विभिन्न दलों के उम्मीदवारों और समर्थकों के बीच प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क का क्रम तेज है। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के मैदान में उतरने से पार्टी के प्रचार को मजबूती मिली है और यह क्षेत्रीय राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।
समीक्षकों का कहना है कि अनंत सिंह के जेल में होने के बावजूद उनकी छवि और क्षेत्रीय पकड़ उनके समर्थकों में असर बनाए हुए है। जेडीयू की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि पार्टी मोकामा सीट को लेकर किसी भी तरह की जोखिम नहीं लेना चाहती।
मोकामा विधानसभा सीट पर आगामी चुनाव न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि एनडीए के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सियासी घमासान में यह देखना दिलचस्प होगा कि जेल में बैठे नेता के समर्थन में पार्टी की सक्रियता और केंद्रीय मंत्री की रणनीति क्षेत्रीय मतदाताओं पर कितना प्रभाव डालती है।

