बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज, जीतनराम मांझी ने लालू यादव पर साधा निशाना, कही 'चलनी दूसे बढ़नी के' की कहावत

बिहार में सरकार द्वारा कई आयोगों के गठन के बाद राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच, केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने राजद अध्यक्ष लालू यादव पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने अपने अंदाज में एक कहावत का हवाला देते हुए कहा, "चलनी दूसे बढ़नी के," जो कि लालू यादव पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी मानी जा रही है।
🎯 क्या है कहावत का संदर्भ?
जीतनराम मांझी ने यह कहावत एक साक्षात्कार के दौरान उस समय उद्धृत की जब लालू यादव की राजनीति और उनके परिवार के राजनीतिक फैसलों पर चर्चा हो रही थी। मांझी ने कहा कि जिस तरह एक टूटी हुई चलनी अपनी हालत सुधारने के बजाय और टूट-फूट की स्थिति में आ जाती है, ठीक उसी तरह कुछ राजनीतिक परिवारों की स्थिति भी हो गई है।
मांझी का यह बयान राजद और लालू यादव के खिलाफ उनका तीखा हमला माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने राजद के राजनीतिक अस्तित्व और परिवारवाद की राजनीति को परोक्ष रूप से निशाना बनाया है।
🗣️ लालू यादव पर आरोप
जीतनराम मांझी ने कहा कि लालू यादव खुद को धर्मनिरपेक्ष नेता के तौर पर प्रस्तुत करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी में जो परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति चल रही है, वह बिहार के विकास में रुकावट डाल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि लालू यादव की परिवार आधारित राजनीति राज्य की जनता के हित में नहीं है और यह राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
🔥 बयानबाजी का सिलसिला जारी
जीतनराम मांझी के इस बयान के बाद राजद और लालू यादव के समर्थकों ने भी पलटवार किया है। राजद के नेताओं ने मांझी के बयान को बेहद अपमानजनक और राजनीतिक विफलता से बचने की कोशिश बताया है। इस तरह की बयानबाजी से बिहार की राजनीति में एक और तूफान का आना तय हो गया है।
🔮 आने वाले दिनों में क्या हो सकता है?
बिहार में आगामी 2025 विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और भी तेज होने की संभावना है। जीतनराम मांझी और लालू यादव के बीच जंग की स्थिति अब अधिक गंभीर हो सकती है। हालांकि, राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यह बयानबाजी चुनावी मंच से पहले ही जनता का ध्यान खींचने की कोशिश है, लेकिन इसका असर आगामी चुनावों पर कितना पड़ेगा, यह देखना होगा।