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एसआईआर विवाद पर गरमाया बिहार का सियासी माहौल, मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बड़ा बयान— "क्या फर्जी वोटिंग होनी चाहिए

एसआईआर विवाद पर गरमाया बिहार का सियासी माहौल, मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बड़ा बयान— "क्या फर्जी वोटिंग होनी चाहिए

बिहार में एसआईआर (स्पेशल इलेक्टोरल रिवीजन) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर सरकार और चुनाव आयोग दोनों के खिलाफ हमलावर हैं। वहीं, अब इस पूरे विवाद के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार का बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक बहस को और धार दे दी है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "मृत वोटर्स को वोटर लिस्ट से हटाना क्या गलत है? क्या हम चाहेंगे कि फर्जी मतदान हो? इस विषय पर राजनीति से ऊपर उठकर विचार होना चाहिए। भारत का संविधान लोकतंत्र की जननी है और उसकी मर्यादा बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।"

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निर्वाचन आयोग की मंशा केवल मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन करने की है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

विपक्ष का आरोप – "एसआईआर की आड़ में छेड़छाड़ की कोशिश"

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि एसआईआर की आड़ में लाखों दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ धोखा बताते हुए सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग के मुताबिक, एसआईआर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और यह एक नियमित अभ्यास है जिसका मकसद मृत, डुप्लीकेट और स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नामों को हटाकर वोटर लिस्ट को दुरुस्त करना है।

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