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तेजस्वी यादव के "सूत्र-मूत्र" बयान पर भड़के पप्पू यादव, बोले- 'सूत्र पर ही तो सब कुछ होता

तेजस्वी यादव के "सूत्र-मूत्र" बयान पर भड़के पप्पू यादव, बोले- 'सूत्र पर ही तो सब कुछ होता

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के विवादित "हम ऐसे सूत्र को मूत्र समझते हैं" बयान पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी यादव को चुनाव आयोग और लोकतंत्र के प्रति गैर-गंभीर करार दिया।

पप्पू यादव ने क्या कहा?

पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पप्पू यादव ने कहा:

"सूत्र पर ही तो सब कुछ होता है। अगर सूत्रों को खारिज कर दोगे, तो फिर जांच-पड़ताल, पत्रकारिता, खुफिया तंत्र, सबका क्या मतलब रह जाएगा?"

उन्होंने सीधे तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि इस तरह का बयान न सिर्फ बचकाना है, बल्कि लोकतंत्र की बुनियादी समझ की भी कमी को दर्शाता है।

"मतलब आप चुनाव आयोग, लोकतांत्रिक संस्थाओं और रिपोर्टिंग की गंभीरता को नहीं समझते। ऐसे बयान से आपकी सोच का स्तर झलकता है।"

तेजस्वी के बयान से शुरू हुई थी बहस

बता दें कि रविवार को मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर तेजस्वी यादव ने एक विवादास्पद बयान दिया था:

"हम ऐसे सूत्र को मूत्र समझते हैं।"

उन्होंने आरोप लगाया था कि मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम शामिल हैं, लेकिन सरकार या आयोग की ओर से कोई पुख्ता सबूत नहीं दिया जा रहा और केवल "सूत्रों के हवाले से" बात की जा रही है।

तेजस्वी का यह बयान तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और उन्हें तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा।

पप्पू यादव ने दी नसीहत

पप्पू यादव ने कहा कि जनता को गुमराह करने की बजाय नेताओं को जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा:

"बिहार के युवाओं को रोजगार चाहिए, शिक्षा चाहिए, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था चाहिए। जनता के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे हल्के बयान दिए जा रहे हैं।"

उन्होंने यह भी जोड़ा कि विपक्ष को सत्ता पक्ष से लड़ाई लड़ने के लिए मुद्दों की लड़ाई लड़नी चाहिए, न कि शब्दों की सस्ती राजनीति करनी चाहिए।

सियासत गर्म, चुनाव नजदीक

बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया शुरू होनी है, और ऐसे में तमाम दल सियासी हथियार तेज करने में जुटे हैं। तेजस्वी यादव जहां सरकार की नीतियों और चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं पप्पू यादव जैसे नेता अब विपक्ष की जिम्मेदारी और भाषा की मर्यादा पर सवाल उठा रहे हैं।

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