Samachar Nama
×

दरभंगा में बोले पप्पू यादव – चुनाव आयोग बन गया है ‘भठियारा आयोग’, भाजपा-आरएसएस का चपरासी करार

दरभंगा में बोले पप्पू यादव – चुनाव आयोग बन गया है ‘भठियारा आयोग’, भाजपा-आरएसएस का चपरासी करार

हमेशा अपने तीखे बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है। दरभंगा में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और यहां तक कह दिया कि अब यह आयोग 'भठियारा आयोग' और 'चपरासी आयोग' बन चुका है

पप्पू यादव ने कहा, “अब कोई टी. एन. शेषन और के जे राव जैसा चुनाव आयुक्त नहीं है। वो जमाना था जब चुनाव निष्पक्ष और डर के बिना होता था। लेकिन आज का चुनाव आयोग भाजपा और आरएसएस का चपरासी बनकर काम कर रहा है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि वर्तमान आयोग से निष्पक्षता और लोकतंत्र की रक्षा की उम्मीद करना बेमानी है।

टी. एन. शेषन और के जे राव की तारीफ

अपने बयान में पप्पू यादव ने पूर्व चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन और के जे राव की कार्यशैली की खुलकर सराहना की। उन्होंने कहा कि इन दोनों अधिकारियों ने अपने समय में चुनावों को भयमुक्त और पारदर्शी बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। पप्पू यादव ने कहा, “जब शेषन थे, तब नेताओं की क्या मजाल थी कि आचार संहिता का उल्लंघन कर जाएं। लेकिन अब तो पूरी आचार संहिता सिर्फ विपक्ष के लिए है।”

भाजपा और आरएसएस पर भी हमला

चुनाव आयोग को भाजपा और आरएसएस का चपरासी बताते हुए पप्पू यादव ने कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है और आयोग मूकदर्शक बना बैठा है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करे, तो जनता का भरोसा टूट जाता है।

विपक्षी नेताओं के सुर में सुर

पप्पू यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में चुनाव सुधारों और ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर बहस तेज है। इससे पहले भी कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगाए हैं। ऐसे में पप्पू यादव का बयान विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाने जैसा है।

आयोग की प्रतिक्रिया का इंतजार

फिलहाल, चुनाव आयोग की ओर से पप्पू यादव के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में नई बहस जरूर छिड़ेगी।

पप्पू यादव का बयान न केवल चुनाव आयोग की साख पर चोट करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या भारत का लोकतंत्र और उसकी निष्पक्ष चुनाव प्रणाली आज भी उतनी ही मज़बूत है जितनी कभी शेषन और के जे राव के समय थी।

Share this story

Tags