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 सिवान की मिट्टी की खुशबू पहुंची प्रधानमंत्री तक, चित्रकार रजनीश ने भेंट की 'मृण्पात्र' कला की अद्भुत कृति

 सिवान की मिट्टी की खुशबू पहुंची प्रधानमंत्री तक, चित्रकार रजनीश ने भेंट की 'मृण्पात्र' कला की अद्भुत कृति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को सिवान के जसौली मैदान में आयोजित विशाल जनसभा के दौरान एक खास क्षण सभी के आकर्षण का केंद्र बन गया। इस जनसभा में सिवान के युवा चित्रकार रजनीश कुमार मौर्य ने प्रधानमंत्री को पारंपरिक 'मृण्पात्र' कला का एक हस्तनिर्मित प्रतीक भेंट कर न केवल उनका स्वागत किया, बल्कि सिवान की सांस्कृतिक विरासत को देश के सर्वोच्च मंच तक पहुंचाया।

यह कलात्मक भेंट सिवान की विशेष मिट्टी से निर्मित थी, जो जिले की पारंपरिक बर्तन निर्माण कला 'मृण्पात्र' को दर्शाती है। यह कला कभी सिवान की पहचान हुआ करती थी और अब धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर है। चित्रकार रजनीश कुमार ने बताया कि यह प्रतीक सिर्फ एक कलाकृति नहीं, बल्कि माटी की स्मृति, संस्कृति की गूंज और कला की आत्मा है।

क्या है 'मृण्पात्र' कला?

‘मृण्पात्र’ शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है — मिट्टी से बना पात्र या बर्तन। सिवान की खास मिट्टी को पारंपरिक विधियों से कई चरणों में तैयार कर, उसे आकार देना और फिर पकाकर टिकाऊ व सुंदर कलाकृतियों में बदलना, इस कला का मूल है। एक समय था जब इस मिट्टी से बने बर्तन विवाह, पूजा-पाठ और घर के उपयोग में आम थे।

रजनीश कुमार मौर्य ने बताया कि उन्होंने इस प्रतीक को बनाने में करीब 15 दिन का समय लगाया। इसमें सिवान की पारंपरिक कला, स्थानीय धरोहर और क्षेत्रीय प्रतीकों का समावेश किया गया है, ताकि यह भेंट सिर्फ स्मृति चिह्न न होकर एक सांस्कृतिक संदेश भी बने।

प्रधानमंत्री ने सराहा, कहा – “यह माटी की ताकत है”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से रजनीश की इस अनूठी भेंट को देखकर गहरी प्रसन्नता जताई और इसे भारत की समृद्ध लोककला का सुंदर उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “ये मिट्टी ही तो हमारी आत्मा है। इससे जुड़ी कला हमारे अतीत की, हमारी संस्कृति की और आत्मनिर्भर भारत की सबसे बड़ी प्रेरणा है।”

कला को मिला सम्मान, कलाकारों को मिला हौसला

स्थानीय लोगों और कला प्रेमियों के लिए यह क्षण गर्व और प्रेरणा से भरने वाला रहा। लंबे समय से उपेक्षित हो रही पारंपरिक कलाओं को इस तरह राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिलना स्थानीय कलाकारों के लिए संजीवनी के समान है।

सिवान के कई कलाकारों ने रजनीश की इस पहल को सराहा और उम्मीद जताई कि अब राज्य और केंद्र सरकारें मिट्टी, बांस, लकड़ी और कपड़े से जुड़ी पारंपरिक कलाओं को प्रोत्साहन देंगी, जिससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और धरोहर भी बचेगी।

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