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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बिहार को बड़ी उपलब्धि, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 7 गुना बढ़े बाघ

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बिहार को बड़ी उपलब्धि, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 7 गुना बढ़े बाघ

आज 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के अवसर पर बिहार के लिए एक बड़ी और सुखद खबर सामने आई है। राज्य में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को लेकर राज्य सरकार और वन विभाग की गंभीरता का परिचायक है। खासकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में बीते 15 वर्षों में बाघों की संख्या 7 गुना तक बढ़ गई है, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

बाघों की संख्या बढ़कर 80 हुई

राज्य सरकार और वन विभाग के अनुसार, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, राजगीर जू सफारी और पटना जू को मिलाकर बिहार में कुल बाघों की संख्या अब 80 पहुंच चुकी है। 15 साल पहले यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक था, लेकिन सख्त संरक्षण उपायों, आधुनिक निगरानी तंत्र, वन कर्मियों की तत्परता और आम लोगों की भागीदारी से बाघों के कुनबे में लगातार इजाफा हो रहा है।

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व: बाघों का सुरक्षित ठिकाना

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, जो पश्चिमी चंपारण जिले में नेपाल सीमा से सटा हुआ है, राज्य का एकमात्र टाइगर रिजर्व है। यहां अब बाघों की संख्या 54 से अधिक हो चुकी है, जबकि 2008 में यह आंकड़ा मात्र 7 था। यह वृद्धि दर्शाती है कि यहां की पारिस्थितिकी, प्रबंधन और संरक्षण नीति बाघों के अनुकूल है।

राजगीर और पटना जू में भी बाघों की मौजूदगी

राजगीर जू सफारी, जो हाल ही में बिहार का प्रमुख पर्यटन केंद्र बना है, वहां भी बाघों के लिए विशेष बाड़े बनाए गए हैं। इसके अलावा पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना जू) में भी बाघों की देखभाल और प्रजनन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन दोनों स्थानों को मिलाकर राज्य में बाघों की कुल संख्या 80 के आसपास पहुंच गई है।

संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम

बिहार वन विभाग द्वारा बाघों की सुरक्षा और निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक जैसे ट्रैप कैमरा, ड्रोन सर्विलांस, और जीपीएस ट्रैकिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया गया है ताकि मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं कम हों और पारिस्थितिकी संतुलन बना रहे।

मुख्यमंत्री और वन विभाग ने दी बधाई

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री और बिहार वन विभाग ने जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है। सरकार आगे भी वन्यजीव संरक्षण के लिए कड़े कदम उठाती रहेगी।

निष्कर्ष

बिहार में बाघों की संख्या में हुआ यह इजाफा न सिर्फ राज्य की पारिस्थितिकी समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयास जब जनभागीदारी और वैज्ञानिक प्रबंधन से जुड़े होते हैं, तो उसके सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर बिहार की यह उपलब्धि निश्चित रूप से पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है।

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