गुरु पूर्णिमा पर बोले जगद्गुरु रामभद्राचार्य "हिंदू राष्ट्र बनेगा, लेकिन समय लगेगा", अखिलेश यादव को दी गुरु दीक्षा की पेशकश
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने एक बार फिर सनातन धर्म, राष्ट्र और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट और प्रभावशाली टिप्पणी की। तुलसीपीठ परिसर में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि “हिंदू राष्ट्र अवश्य बनेगा, पर इसमें समय लगेगा। यह प्रक्रिया धीमी है, लेकिन निश्चित है।”
जगद्गुरु ने कहा कि देश और विदेशों में रहने वाले सभी सनातन धर्म के अनुयायियों को वे अनेक आशीर्वाद दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा का पर्व आत्मचिंतन और आत्मशुद्धि का अवसर होता है, और यह सनातन संस्कृति की जीवंत परंपरा का प्रतीक है।
अखिलेश यादव को दी गुरु दीक्षा की पेशकश
मीडिया से बातचीत के दौरान जब राजनीति से जुड़े सवाल पूछे गए तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर चौंकाने वाली टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “यदि अखिलेश यादव मेरी शरण में आएगा तो मैं उसे गुरु दीक्षा दूंगा।” इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि जगद्गुरु का यह बयान धर्म और राजनीति के संबंधों को एक नई दिशा दे सकता है।
सनातन धर्म के विस्तार का आह्वान
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि आज आवश्यकता है कि सनातन धर्म को वैज्ञानिक, तर्कसंगत और वैश्विक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं, विश्व भर में हिंदू संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है और यह धर्म का पुनर्जागरण काल है। “हिंदू राष्ट्र की स्थापना केवल राजनीतिक घोषणा नहीं होगी, यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान की परिणति होगी,” उन्होंने कहा।
सामाजिक और धार्मिक समरसता का संदेश
उन्होंने गुरु पूर्णिमा पर समाज को एकजुट रहने और धर्म के मार्ग पर चलने की सलाह दी। साथ ही कहा कि धर्म का मार्ग शांति, सेवा और सत्य का मार्ग है, जिसे हर नागरिक को अपनाना चाहिए।
स्थानीय श्रद्धालुओं और भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
गुरु पूर्णिमा के मौके पर तुलसीपीठ में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। सुबह से ही पूजन-अर्चन, प्रवचन और भंडारे की व्यवस्था में भक्तगण लगे रहे। जगद्गुरु के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे। इस अवसर पर जगद्गुरु द्वारा दिए गए बयान न केवल धार्मिक जगत में चर्चा का विषय बने हुए हैं, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लिया जा रहा है। अब देखना होगा कि अखिलेश यादव की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है।

