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अब गर्मियों में नहीं करना होगा पेयजल संकट का सामना, पशुओं के लिए कुल 261 पशु प्याऊ का निर्माण

राज्य सरकार ने आगामी गर्मी के मौसम में संभावित जल संकट से निपटने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इस संदर्भ में लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) द्वारा एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई है। मंत्री नीरज कुमार सिंह के अनुसार हैंडपंपों की मरम्मत और रखरखाव के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिन पंचायतों में भूजल स्तर गिर गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर हैंडपंपों को चालू रखने की व्यवस्था की जा रही है।

मंत्री नीरज सिंह ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1520 नये हैंडपंपों के निर्माण की अग्रिम स्वीकृति दी गयी है। इसके अतिरिक्त, हैंडपंप मरम्मत के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार, पूरे राज्य में कुल 1,20,749 हैंडपंपों की मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है। सभी हैंडपंप मरम्मत रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही हैं तथा जियो-टैग्ड फोटोग्राफ और सामाजिक सत्यापन भी प्राप्त किया जा रहा है।

गर्मी में पेयजल आपूर्ति की चुनौती से निपटने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री नीरज कुमार सिंह ने अधिकारियों को व्यापक दिशा-निर्देश दिए हैं। सबसे पहले उन्होंने खराब पड़े हैंडपंपों को तुरंत ठीक कराने और जलसंकट वाले क्षेत्रों में 'हर घर नल का जल' के अलावा टैंकरों से भी पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। सार्वजनिक स्थानों, विद्यालयों एवं महादलित बस्तियों में लगे चापाकलों की मरम्मत का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। साथ ही, भूजल स्तर में संभावित गिरावट को ध्यान में रखते हुए पंचायत स्तर पर दैनिक आधार पर जल स्रोतों की स्थिति का आकलन किया जा रहा है।

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जिन क्षेत्रों में भूजल स्तर बहुत कम होने के कारण जलापूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं, वहां टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जल संकट से जूझ रही पंचायतों में प्राथमिकता के आधार पर जल वितरण के लिए रूट चार्ट तैयार किया गया है ताकि किसी भी गांव या बस्ती में पेयजल की कमी न हो। जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष द्वारा भी सम्पूर्ण व्यवस्था की निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही जल गुणवत्ता को लेकर विभागीय स्तर पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत उन जल स्रोतों को लाल रंग से चिह्नित किया जा रहा है जहां आर्सेनिक, फ्लोराइड या आयरन का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया जाता है।

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