बिहार में चालू हुई नीतीश कुमार की चुनावी चाल, पहले ही झटके में तेजस्वी के दांव फेल, आगे-आगे देखिए होता है क्या

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और जन सूरज पार्टी के शिल्पी प्रशांत किशोर लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर हमला बोल रहे हैं। वे कहते नहीं थकते कि नीतीश कुमार बूढ़े हो गए हैं। वे कोमा में हैं। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है। नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द कुछ अधिकारी सरकार का काम संभाल रहे हैं। लेकिन, नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक कदमों से साबित कर दिया है कि बुढ़ापे में भी वे सब पर भारी पड़ते हैं। उनके राजनीतिक फैसले हों या प्रशासनिक फैसले, वे विपक्ष पर अभी भी भारी पड़ते हैं। ऐसे राजनीतिक फैसले कोई जागरूक व्यक्ति ही ले सकता है। नीतीश कुमार के एक कदम ने पूरे विपक्ष को एक झटके में खत्म कर दिया है।
वृद्धावस्था पेंशन की राशि तीन गुना हुई
सामाजिक सुरक्षा के तहत नीतीश कुमार ने विधवाओं, विकलांगों और वृद्ध पुरुषों और महिलाओं को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि एक झटके में लगभग तीन गुना कर दी है। पहले यह राशि 400 रुपये प्रति माह थी। अब राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया है। राजद नेता और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने वादा किया था कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की जाएंगी। माई-बहन मान योजना के तहत महिलाओं को 2500 रुपये मासिक सहायता के अलावा बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए मासिक पेंशन राशि को बढ़ाकर 1500 रुपये करने की भी बात कही गई। सामाजिक सुरक्षा की राशि को तीन गुना करके नीतीश कुमार ने साबित कर दिया है कि सत्ता में बैठे लोगों के पास बहुत कुछ है। विपक्ष सिर्फ वादे ही कर सकता है। सत्ताधारी दल वादे को लागू करके विपक्ष को कभी भी मात देने में सक्षम है।
जीविका समूहों का मानदेय बढ़ाया गया
नीतीश कुमार ने न सिर्फ सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन की राशि बढ़ाई है, बल्कि जीविका दीदियों के एक बड़े समूह को खुश करने की भी कोशिश की है। राज्य सरकार ने उनके मानदेय को दोगुना करने की घोषणा की है। पहले बिहार में जीविका परियोजना से जुड़ी महिलाओं को 3 लाख रुपये से अधिक के ऋण पर 10 प्रतिशत ब्याज देना पड़ता था। नीतीश कुमार की सरकार ने अब ब्याज को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। यानी जीविका से जुड़ी करीब 1.5 करोड़ महिलाओं को ब्याज में 3 प्रतिशत की सीधी रियायत मिलेगी। पहले 3 लाख रुपये के लोन पर सालाना 30,000 रुपये ब्याज देना पड़ता था, जो अब 21,000 रुपये होगा। यानी 9,000 रुपये का सीधा लाभ। चूंकि ये लोन बैंकों द्वारा महिलाओं को दिए जाते हैं, इसलिए बैंकों के ब्याज की भरपाई राज्य सरकार के अंशदान से होगी। राज्य सरकार दीदी की रसोई चलाने वाली महिलाओं की भी मदद कर रही है। पहले यह रसोई कुछ ही जगहों पर चल रही थी। राज्य सरकार ने इसे ब्लॉक स्तर तक ले जाने का वादा किया है।
94 लाख गरीबों को आर्थिक मदद
बिहार सरकार ने जब जातिगत सर्वे कराया तो उसमें आर्थिक सर्वे भी शामिल था। इसमें पता चला कि 94 लाख परिवार अभी भी आर्थिक रूप से गरीब हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए 5 साल की योजना बनाई, जिसमें प्रति परिवार 2 लाख रुपये की सरकारी मदद देने का प्रावधान था। राज्य सरकार ने इसका क्रियान्वयन भी शुरू कर दिया था। अब इस योजना के तहत राज्य सरकार 94 लाख परिवारों को एकमुश्त 2 लाख रुपये देगी।
महिलाएं रही हैं नीतीश की ताकत
जब से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद संभाला है, आधी आबादी उनकी प्राथमिकता रही है। मुख्यमंत्री बनने के एक साल बाद यानी 2006 में नीतीश सरकार ने पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। इसके अगले ही साल यानी 2007 में उन्होंने निकाय चुनावों में भी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की वजह से पुलिस और दूसरे विभागों में बड़ी संख्या में महिलाओं की नियुक्ति हुई है। नीतीश कुमार के इस कदम का एनडीए को राजनीतिक लाभ मिल रहा है।