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पीएम मोदी की जनसभा में बदले-बदले नजर आए नीतीश कुमार, गर्मजोशी से स्वागत किया, विपक्ष पर साधा निशाना

बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली कुछ जनसभाओं के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवरों में स्पष्ट रूप से नरमी आई है। एक समय जो नीतीश कुमार आक्रामक रुख अपनाते हुए....
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बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली कुछ जनसभाओं के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तेवरों में स्पष्ट रूप से नरमी आई है। एक समय जो नीतीश कुमार आक्रामक रुख अपनाते हुए केंद्र से अपनी मांगों को मनवाने के लिए जाने जाते थे, वही नीतीश अब विनम्रता और सहयोग की मुद्रा में नजर आ रहे हैं।

रोहतास जिले के बिक्रमगंज में प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा में नीतीश कुमार ने जिस तरह से मंच साझा किया, वह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। मंच पर सीएम कभी ताली बजाते, कभी हाथ जोड़ते नजर आए। ऐसा लग रहा था मानो वे प्रधानमंत्री का स्वागत नहीं, बल्कि आभार जता रहे हों।

पीएम मोदी का भव्य स्वागत, आंकड़ों के साथ पेश किया गया सम्मान

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी का मंच पर गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा, “पिछले 11 सालों में प्रधानमंत्री मोदी की यह 50वीं बिहार यात्रा है। यह अपने आप में ऐतिहासिक क्षण है कि पीएम बिक्रमगंज की धरती पर पधारे हैं।” उन्होंने आगे बताया कि इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने करीब 48,500 करोड़ रुपये की लागत वाली कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है। इनमें सड़क, बिजली, रेल और पुल निर्माण से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।

नीतीश ने पीएम मोदी की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में बिहार को काफी कुछ दिया है, जिसमें नए एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शामिल हैं। उन्होंने केंद्र की जातीय जनगणना कराने की घोषणा को भी “खुशी की बात” बताया और इसके लिए पीएम मोदी को “हृदय से धन्यवाद” दिया।

छवि सुधार और खुद की उपलब्धियों की मार्केटिंग भी नहीं भूले नीतीश

जहां एक ओर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री की तारीफों के पुल बांधे, वहीं दूसरी ओर उन्होंने मंच का उपयोग अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने में भी किया। उन्होंने 2005 में बनी अपनी पहली एनडीए सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि “पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया।” उन्होंने महिलाओं की भागीदारी, पंचायत चुनाव में 50% आरक्षण, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार, गांवों को सड़कों से जोड़ने जैसी उपलब्धियों का हवाला देते हुए बताया कि उनकी सरकार ने सबके लिए काम किया है।

सीएम नीतीश ने भरोसा दिलाया कि जून 2025 तक “हर घर बिजली, हर घर नल, और हर घर शौचालय” योजना को पूरा कर लिया जाएगा।

विपक्ष पर भी साधा निशाना

अपने भाषण के आखिर में नीतीश कुमार ने विरोधी दलों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “दूसरी पार्टी के लोग अंट-शंट बोलते रहते हैं। ये लोग पहले भी सत्ता में थे, लेकिन कभी जातीय जनगणना की मांग नहीं की।” नीतीश ने यह भी कहा कि “हम लोग ही मांग करते थे, और अब जाकर ये मांग पूरी हो रही है।”

उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस बात को न भूलें और पीएम मोदी का आभार व्यक्त करें। अपने चिर-परिचित अंदाज में उन्होंने कहा, “सब लोग खड़ा हो जाइए, प्रधानमंत्री जी को प्रणाम कीजिए। ये आपके लिए इतना काम कर रहे हैं। अटल जी ने भी काम किया था, और अब नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं।”

बदलते राजनीतिक समीकरणों के संकेत?

नीतीश कुमार का यह बदला हुआ रवैया केवल एक सभा भर का नहीं लगता। पिछले कुछ महीनों से उनके भाषणों में बार-बार यह बात दोहराई जाती रही है कि “अब इधरे रहेंगे, उधर नहीं जाएंगे।” यह कथन भले ही सीधा न हो, लेकिन इसके जरिए वे अपनी स्थिर राजनीतिक स्थिति का संकेत देते नजर आते हैं।

बिहार की राजनीति में हमेशा अप्रत्याशित मोड़ लाने वाले नीतीश कुमार अब फिर से केंद्र सरकार के साथ कदमताल करते दिखाई दे रहे हैं। एक समय जो विपक्षी दलों के बीच पीएम मोदी के कटु आलोचक माने जाते थे, वही नीतीश अब उन्हें “श्रद्धेय” कहकर संबोधित कर रहे हैं और बार-बार मंच से उनका आभार जता रहे हैं।

निष्कर्ष

बिक्रमगंज की यह सभा सिर्फ विकास परियोजनाओं के उद्घाटन का मंच नहीं थी, बल्कि यह बिहार की राजनीति में बदलाव के संकेतों से भरी हुई थी। नीतीश कुमार की जुबान और हाव-भाव से स्पष्ट हो गया कि फिलहाल वे केंद्र के साथ सामंजस्य बनाए रखना चाहते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में यह बदला हुआ रुख किस दिशा में जाता है – क्या यह स्थायी गठबंधन की भूमिका निभाएगा या फिर किसी नए सियासी समीकरण की भूमिका बनेगा।

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