दुर्लभ चिकित्सीय विकृति 'एनेनसेफली' से जन्मी नवजात को गांववालों ने माना 'भगवान का रूप', पांच घंटे बाद हुई मौत
नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के कोलावां गांव में सोमवार को एक दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति 'एनेनसेफली' (Anencephaly) के साथ जन्मी नवजात बच्ची की मौत ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। बच्ची का जन्म एक चिकित्सकीय आपात स्थिति में हुआ था, जिसमें नवजात के मस्तिष्क और खोपड़ी का विकास अधूरा होता है। जन्म के महज पांच घंटे बाद ही बच्ची ने दम तोड़ दिया।
हालांकि, इस दुर्लभ विकृति को लेकर गांव में अंधश्रद्धा और धार्मिक भावना का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने बच्ची को ‘भगवान का अवतार’ मानते हुए उसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी। कुछ लोगों ने उसके दर्शन के लिए लंबी कतारें लगाईं और फूल चढ़ाकर मन्नतें भी मांगी।
क्या है एनेनसेफली?
एनेनसेफली एक गंभीर जन्मजात विकृति है, जो तब होती है जब भ्रूण का न्यूरल ट्यूब ठीक से बंद नहीं होता। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे का मस्तिष्क और खोपड़ी का ऊपरी हिस्सा विकसित नहीं हो पाता, जिससे शिशु जन्म के कुछ समय बाद ही जीवित नहीं रह पाता। यह स्थिति लाखों में एक पाई जाती है और इसका कोई इलाज नहीं है।
ग्रामीणों ने बच्ची को बताया 'दिव्य शक्ति'
बच्ची के असामान्य चेहरे और सिर की बनावट को देख गांव में इसे अलौकिक चमत्कार माना गया। ग्रामीणों ने उसे 'देवी का रूप' बताते हुए घर में पूजा पाठ शुरू कर दिया। कई महिलाओं ने बच्ची के पैर छुए और कुछ ने उसे मनोकामना पूर्ति की देवी तक कह दिया।
हालांकि, स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि,
“यह एक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति है, जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना जरूरी है। इस तरह की अंधश्रद्धा से बचना चाहिए।”
मौत के बाद भी बनी रही भीड़
नवजात की मृत्यु के बाद भी गांव में दर्शन के लिए भीड़ जुटी रही। ग्रामीणों ने शव को विशेष तरीके से दफनाने की बात कही। स्थानीय पुजारियों और गांव के बुजुर्गों की सलाह पर विशेष पूजा का आयोजन किया गया।
स्वास्थ्य विभाग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से विज्ञान आधारित सोच अपनाने की अपील की है। अधिकारियों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच और पोषण की कमी इस तरह की समस्याओं को जन्म देती है। ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाने की भी योजना बनाई जा रही है।

