वैशाली में बौद्ध विरासत को नई पहचान: CM नीतीश कुमार ने किया बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का लोकार्पण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार के ऐतिहासिक वैशाली जिले में बने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का भव्य उद्घाटन किया। इस मौके पर दुनिया भर के करीब 15 देशों से आए बौद्ध भिक्षु और अनुयायी उपस्थित रहे, जिससे यह आयोजन वैश्विक मंच जैसा बन गया।
वैशाली: बुद्ध से जुड़ी पुण्यभूमि
उल्लेखनीय है कि वैशाली वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां भगवान बुद्ध ने अपने अंतिम उपदेश दिए थे और यह स्थान बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वैशाली की इस विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए यह संग्रहालय और स्तूप एक अहम कड़ी साबित होगा।
मुख्यमंत्री का संबोधन
नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा,
“बुद्ध का संदेश आज भी प्रासंगिक है—शांति, करुणा और सम्यक दृष्टि का मार्ग। हम चाहते हैं कि यह स्थल न केवल बिहार और भारत बल्कि पूरी दुनिया के बौद्ध अनुयायियों के लिए प्रेरणा केंद्र बने।”
उन्होंने यह भी बताया कि यह परियोजना बिहार सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
संग्रहालय और स्तूप की खासियतें
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यह स्मारक भगवान बुद्ध के जीवन, शिक्षा और वैशाली के महत्व को समर्पित है।
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संग्रहालय में बुद्ध के जीवन से जुड़ी दुर्लभ प्रतिमाएं, चित्र, पांडुलिपियां और डिजिटल डिस्प्ले लगे हैं।
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स्मृति स्तूप में बुद्ध के अंतिम उपदेश से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है।
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परिसर में ध्यान केंद्र, सभागार और पुस्तकालय की भी व्यवस्था की गई है।
विदेशी मेहमानों की उपस्थिति
थाईलैंड, श्रीलंका, जापान, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, भूटान समेत 15 से अधिक देशों से आए बौद्ध भिक्षु और बौद्ध धर्मावलंबियों ने समारोह में भाग लिया। उन्होंने भारतीय सरकार और बिहार प्रशासन के इस प्रयास की सराहना की।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
इस आयोजन के जरिए सरकार की मंशा वैशाली को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सर्किट में और मजबूत करने की है। नीतीश कुमार ने कहा कि इस परियोजना से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा।
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था चाक-चौबंद
समारोह के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। राज्य और जिला प्रशासन की कई टीमें पूरे आयोजन स्थल पर तैनात थीं। विदेशी मेहमानों के लिए विशेष सुविधा केंद्र भी बनाए गए थे।
बौद्ध अनुयायियों में उत्साह
कार्यक्रम में शामिल एक जापानी बौद्ध अनुयायी ने कहा, “वैशाली आकर ऐसा महसूस होता है जैसे हम बुद्ध की उस भूमि पर खड़े हैं, जहां करुणा और ज्ञान की गंगा बहती है।”

