तीन लाख का इनामी नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी ने किया आत्मसमर्पण, SSP ने दी जानकारी

राज्य में नक्सल विरोधी अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। गया जिले में सक्रिय तीन लाख रुपये के इनामी और कुख्यात नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरकी ने शुक्रवार को पुलिस के समक्ष हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण की यह कार्रवाई बिहार पुलिस की लगातार दबिश, अभियान और रणनीतिक दबाव के चलते संभव हो सकी।
गया के वरीय पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि भोक्ता प्रतिबंधित नक्सली संगठन का सब-जोनल कमांडर था और उसके खिलाफ कई थानों में गंभीर मामले दर्ज हैं। उस पर हत्या, पुलिस पार्टी पर हमला, विस्फोट, फिरौती, रंगदारी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे मामलों में वांछित होने के साथ-साथ तीन लाख रुपये का इनाम भी घोषित था।
एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि नक्सली के आत्मसमर्पण के समय उसने एक राइफल और भारी मात्रा में कारतूस भी पुलिस को सौंपे। पुलिस ने इसे नक्सल मोर्चे पर एक बड़ी कामयाबी बताया है और कहा कि यह आत्मसमर्पण अभियान के तहत अब तक की सबसे अहम घटनाओं में से एक है।
लगातार दबिश से टूटा मनोबल
पुलिस के अनुसार, बीते कुछ महीनों से गया, औरंगाबाद, जमुई और रोहतास के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। इसमें CRPF, STF और जिला पुलिस की संयुक्त टीमें लगातार गश्त और कार्रवाई कर रही थीं। इसी दबाव में आकर अखिलेश सिंह भोक्ता ने स्वेच्छा से सरेंडर करने का फैसला लिया।
बताया जा रहा है कि भोक्ता संगठन के अंदर कई वर्षों से सक्रिय था और उसने कई युवाओं को नक्सल आंदोलन से जोड़ा था। उसका नेटवर्क गया, औरंगाबाद और झारखंड के सीमावर्ती इलाकों तक फैला हुआ था।
सरकार की पुनर्वास नीति का असर
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया जा रहा है। इसके तहत उन्हें शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा मुहैया कराई जाती है, जिससे वे समाज में एक सम्मानजनक जीवन शुरू कर सकें।
एसएसपी आनंद कुमार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अब शांति बहाली की दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि, "हमारा उद्देश्य सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि हिंसा के रास्ते पर चल रहे युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाना है। यह आत्मसमर्पण उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।"
स्थानीय जनता में संतोष
इस आत्मसमर्पण के बाद स्थानीय जनता और प्रशासन में संतोष और राहत का माहौल है। कई वर्षों से जिस नक्सली की गतिविधियों से क्षेत्र के लोग भयभीत रहते थे, उसका आत्मसमर्पण लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। पुलिस ने जनता से सहयोग जारी रखने की अपील की है और कहा है कि यदि कोई अन्य उग्रवादी आत्मसमर्पण करना चाहता है, तो सरकार के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत उन्हें भी अवसर मिलेगा।