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SIR सूची में विदेशी नागरिकों के नाम आने से मचा सियासी बवाल, MLC घनश्याम ठाकुर ने की चुनाव आयोग से सघन जांच की मांग

SIR सूची में विदेशी नागरिकों के नाम आने से मचा सियासी बवाल, MLC घनश्याम ठाकुर ने की चुनाव आयोग से सघन जांच की मांग

बिहार की सियासत में उस वक्त नई हलचल पैदा हो गई जब राज्य की SIR (Special Identification Register) सूची में विदेशी नागरिकों के नाम दर्ज होने का मामला सामने आया। इस गंभीर मुद्दे पर अब मधुबनी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (MLC) घनश्याम ठाकुर ने सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग से मामले की सघन जांच कराने की मांग की है। उनका दावा है कि मधुबनी जिले में स्टेडियम रोड से लेकर भौंआरा क्षेत्र तक हजारों की संख्या में रोहिंग्या, बांग्लादेशी और अन्य विदेशी नागरिक अवैध रूप से निवास कर रहे हैं और फर्जी दस्तावेजों के जरिए मतदाता सूची में शामिल हो चुके हैं।

घनश्याम ठाकुर का आरोप: लोकतंत्र के लिए खतरा

MLC घनश्याम ठाकुर ने प्रेस के माध्यम से बयान जारी करते हुए कहा कि "मधुबनी में विदेशी नागरिकों की अवैध मौजूदगी केवल सुरक्षा के लिहाज़ से ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा खतरा है। जब ऐसे लोग फर्जी पहचान के साथ वोट डालते हैं, तो इससे राज्य की चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता पर सवाल खड़े होते हैं।"

उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की कि वह इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करे और विशेष रूप से सीमावर्ती इलाकों में सत्यापन अभियान चलाए। ठाकुर ने यह भी कहा कि अगर जल्द सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।

अवैध घुसपैठ का मुद्दा बना सियासी हथियार

यह मामला सामने आते ही विपक्षी दलों ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहां भाजपा इस मुद्दे को सुरक्षा और राष्ट्रीय हित से जोड़कर सामने रख रही है, वहीं महागठबंधन के कुछ नेताओं ने इसे "साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश" करार दिया है।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं ने भाजपा से सवाल किया कि जब राज्य और केंद्र दोनों में एनडीए की सरकार है, तो ऐसे संवेदनशील मामले अब तक क्यों नहीं सुलझे? दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है कि मतदाता सूची में इस प्रकार की चूक कैसे संभव हुई।

प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में

स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। नागरिक समाज और कुछ सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि विदेशी नागरिकों की पहचान और निष्कासन के लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं और मतदाता सूची में दर्ज हर संदिग्ध नाम की पुनः जांच करवाई जाए।

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