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"मेरा प्रखंड, मेरा गौरव" प्रतियोगिता अपने अंतिम चरण में पहुंची, पर्यटन स्थलों की पहचान को मिल रहा बढ़ावा

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बिहार पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित "मेरा प्रखंड, मेरा गौरव" प्रतियोगिता अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस अभिनव पहल का उद्देश्य राज्य के विभिन्न प्रखंडों में छिपे हुए, कम चर्चित मगर ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले पर्यटन स्थलों को पहचान देना है। प्रतियोगिता के माध्यम से स्थानीय लोगों को अपने क्षेत्र की विरासत पर गर्व करने का अवसर मिला है।

पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रतियोगिता को प्रदेशभर में जबरदस्त प्रतिसाद मिला है। सभी जिलों के प्रतिभागियों ने अपने-अपने प्रखंडों की खासियतों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। प्रतियोगिता में वीडियो, लेख, फोटो और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने अपने क्षेत्र की अनदेखी विरासत को उजागर किया है।

विजेताओं को मिलेगा सम्मान

पर्यटन विभाग ने बताया कि अंतिम चरण में पहुंचे प्रतिभागियों का मूल्यांकन विशेषज्ञों की एक समिति कर रही है। विजेताओं को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा, साथ ही उनके द्वारा चिन्हित स्थलों के पर्यटन विकास के लिए विशेष कार्ययोजना भी तैयार की जाएगी।

ग्रामीण पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

"मेरा प्रखंड, मेरा गौरव" प्रतियोगिता के माध्यम से सरकार का लक्ष्य ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना भी है। इससे न केवल स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक विरासत को भी नई पहचान मिलेगी।

नए पर्यटन नक्शे की ओर बिहार

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रतियोगिता के जरिये बिहार अब एक नए पर्यटन नक्शे की ओर बढ़ रहा है, जहां सिर्फ बड़े धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि हर गांव, हर प्रखंड की अनसुनी कहानियां और सांस्कृतिक धरोहरें भी सामने आ रही हैं।इस तरह की पहल न केवल स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करती है, बल्कि पर्यटन को जन-आंदोलन का स्वरूप भी देती है।

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