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माता सीता ने क्रोध में आकर जिस नदी को दिया था सूखने का श्राप, आज उसी में आया भयंकर पानी, वीडियो में देखें रौद्र रूप

बिहार में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश लोगों के लिए आफत बन गई है। गया में देर रात हुई बारिश के कारण फल्गु नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और इस नदी का पानी बाढ़ में तब्दील हो गया। इसके कारण मुफस्सिल थाना क्षेत्र में फल्गु नदी के पूर्वी तट....
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बिहार में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश लोगों के लिए आफत बन गई है। गया में देर रात हुई बारिश के कारण फल्गु नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और इस नदी का पानी बाढ़ में तब्दील हो गया। इसके कारण मुफस्सिल थाना क्षेत्र में फल्गु नदी के पूर्वी तट पर 10 से 12 लोग फंस गए। फल्गु नदी में अचानक आई इस बाढ़ के कारण नदी किनारे बने सिक्सलेन पुल के नीचे सो रहे 10-12 लोग फंस गए और चिल्लाने लगे, जिससे चारों तरफ अफरातफरी मच गई। लोगों की आवाज सुनकर आसपास के लोग जुटे और फंसे हुए लोगों को बचाया गया। उफनती फल्गु नदी में फंसे कई लोगों को स्थानीय लोगों और एनडीआरएफ की टीम ने बचाया। गया और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिसके कारण नदी उफान पर है और एहतियात के तौर पर नदी पर बने रबर ब्रिज के कई गेट भी खोल दिए गए हैं। हालांकि नदी में पानी आने से किसानों में भी खुशी की लहर है क्योंकि इससे उन्हें खेती में सिंचाई के लिहाज से फायदा होगा।

क्या है फल्गु नदी का इतिहास?

फल्गु नदी के बारे में आपको बता दें कि यह गया में स्थित एक पवित्र नदी है, जिसे “अंतःसलिला” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका अधिकांश प्रवाह भूमिगत है। इस नदी में ऊपर से पानी दिखाई नहीं देता है, लेकिन विशेष अवसरों पर, भारी बारिश के बाद या कुछ जल-प्रबंधन कार्य के बाद, कभी-कभी सतह पर पानी का प्रवाह दिखाई देता है।

फल्गु नदी के बारे में पौराणिक मान्यता क्या है?

ऐसा माना जाता है कि गया की फल्गु नदी के तट पर किया गया श्राद्ध पितरों के लिए स्वर्ग का सीधा रास्ता खोलता है। इस नदी को शापित भी कहा जाता है। इस नदी के बारे में पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने इस नदी को ‘सूखी नदी’ होने का श्राप दिया था।

कथा के अनुसार, राम, लक्ष्मण और सीता अपने वनवास के दौरान अपने पिता दशरथ को श्रद्धांजलि देने के लिए गया गए थे। इस दौरान भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी श्राद्ध की सामग्री एकत्रित करने लगे। जब उन्हें आने में देरी हुई तो माता सीता ने दशरथ जी का श्राद्ध कर्म पूर्ण कर लिया था। माता सीता ने फल्गु नदी की रेत से पिंड बनाकर दान कर दिया। साक्षी माता ने इस पिंडदान के साक्षी के रूप में फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और वहां उपस्थित एक ब्राह्मण को बनाया।

झूठी गवाही के कारण माता सीता को मिला श्राप

पौराणिक कथा के अनुसार जब श्री राम और लक्ष्मण सामान लेकर वापस लौटे तो माता सीता ने उन्हें श्राद्ध के बारे में सारी बात बताई लेकिन भगवान राम को इस बात पर यकीन नहीं हुआ इसलिए उन्होंने सभी गवाहों से इसके बारे में पूछा लेकिन बरगद के पेड़ को छोड़कर किसी भी गवाह ने उन्हें सच नहीं बताया और फल्गु नदी ने भी झूठी गवाही दी। इससे माता सीता क्रोधित हो गईं और उन्होंने फल्गु नदी को हमेशा सूखी रहने का श्राप दे दिया।

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