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बिहार में मॉनसून कमजोर, जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश की संभावना — कृषि पर पड़ सकता है असर

बिहार में मॉनसून कमजोर, जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश की संभावना — कृषि पर पड़ सकता है असर

बिहार में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने 19 जून के बाद दस्तक दी, लेकिन अब तक इसका प्रभाव अपेक्षित नहीं रहा है। राज्य के कई जिलों में बारिश दर्ज तो की गई है, लेकिन मॉनसून की गति धीमी बनी हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार, जून महीने में सामान्य से 36 मिलीमीटर कम बारिश हुई है।

मौसम विभाग ने चेताया है कि जुलाई में भी वर्षा सामान्य से कम रहने की आशंका है, जिससे खेती और धान रोपनी के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जुलाई में सामान्य वर्षा का औसत आंकड़ा 340.5 मिलीमीटर होता है, लेकिन इस बार मौसमीय परिस्थितियों को देखते हुए इतनी बारिश होने की संभावना नहीं बन रही है।

अब तक की बारिश का हाल

राज्य के कुछ हिस्सों में रुक-रुक कर हल्की से मध्यम वर्षा हो रही है, लेकिन अब तक व्यापक और लगातार बारिश का इंतजार बना हुआ है। उत्तर बिहार, सीमांचल और मगध क्षेत्र के कुछ जिलों में ही सामान्य से करीब 50-60% तक कम वर्षा दर्ज की गई है।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी कम सक्रिय हो रही है, जिससे मानसूनी बादलों की ताकत कमजोर बनी हुई है। साथ ही मानसून की ट्रफ लाइन बिहार से दूर बनी हुई है, जिससे राज्य के ज्यादातर इलाकों में भारी वर्षा के हालात फिलहाल नहीं बन पा रहे हैं।

खेती-किसानी पर मंडराया खतरा

मॉनसून की धीमी चाल का सबसे बड़ा असर कृषि कार्यों पर पड़ रहा है। राज्य में अब तक धान की रोपाई की प्रक्रिया धीमी है, जबकि जुलाई को धान की रोपनी का सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। किसान खेतों में पानी की कमी के चलते रोपनी कार्य शुरू नहीं कर पा रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में फसलों की उत्पादकता पर असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है।

राज्य के कई किसान संगठनों ने सरकार से जल प्रबंधन, वैकल्पिक सिंचाई सुविधाएं और डीजल अनुदान जैसी सहायता की मांग की है ताकि खेती को नुकसान से बचाया जा सके।

सरकार की तैयारी

राज्य सरकार ने मौसम विभाग की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए कृषि विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग को सतर्क कर दिया है। किसानों को वैकल्पिक फसलों की ओर प्रेरित करने, जल संचयन और सिंचाई योजनाओं को सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह संकेत भी दिया गया है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो राज्य सरकार सूखा जैसी आपदा की पूर्व तैयारी शुरू कर सकती है।

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